अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (CFR), ने एक रिपोर्ट जारी कर 2026 में भारत और पाकिस्तान के बीच बड़े सैन्य टकराव की आशंका जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पड़ोसी देशों के बीच युद्ध का सबसे प्रमुख कारण पाकिस्तान से संचालित हो रही “आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि” हो सकती है। इस चेतावनी को अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञों के एक सर्वेक्षण के निष्कर्षों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें यह भी बताया गया है कि पूर्व अमेरिकी प्रशासन ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का प्रयास किया था।
इस चिंताजनक भविष्यवाणी से पहले, मई 2024 में भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर सैन्य तनाव देखा गया था। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकी अड्डों पर निर्णायक कार्रवाई की थी। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की सीधी प्रतिक्रिया थी, जिसमें 26 आम नागरिकों की जान गई थी।
भारत के हवाई हमलों ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के उन महत्वपूर्ण कमांड सेंटरों को निशाना बनाया, जो 2008 के मुंबई हमलों और 2019 के पुलवामा हमले जैसे जघन्य अपराधों के लिए जिम्मेदार थे। इन हमलों में सैकड़ों आतंकवादी मारे गए थे।
जवाबी कार्रवाई के तौर पर, पाकिस्तान ने 8 से 10 मई तक भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। इसके जवाब में, भारत ने मिसाइलों और ड्रोन का उपयोग करते हुए पाकिस्तान के सैन्य लक्ष्यों पर सटीक हमले किए।
लगभग चार दिनों तक चली हवाई झड़पों के बाद, दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) की बातचीत के फलस्वरूप 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति बनी, जो पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ था।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय मिसाइलों से रावलपिंडी के चकलाल क्षेत्र में स्थित नूर खान एयर बेस को नुकसान पहुंचा था। उन्होंने बताया कि हमले में कुछ सैनिक घायल भी हुए थे, और भारत द्वारा भेजे गए 80 में से 79 ड्रोनों को रोका गया था।
