अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव कम हो गया है और दोनों देश अब शांति की ओर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक पुराने संधि के नियमों के पालन पर सहमति के साथ ही यह युद्धविराम संभव हुआ है। ट्रंप ने इस उपलब्धि का श्रेय दोनों देशों के नेतृत्व को दिया और कहा कि अमेरिका ने शांति बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‘ट्रुथ सोशल’ पर जारी एक बयान में, ट्रंप ने कहा, “मैं यह घोषणा करते हुए उत्साहित हूं कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच छिड़ हुआ संघर्ष फिलहाल थम जाएगा। वे हमारी नई तय की गई मूल संधि का पालन करते हुए शांति से रहेंगे। मैं दोनों देशों के महान नेताओं को इस त्वरित और न्यायपूर्ण समझौते के लिए उनकी समझदारी पर बधाई देता हूं। यह बेहद तेज और निर्णायक रहा, जैसा कि सभी मामलों में होना चाहिए! संयुक्त राज्य अमेरिका, जैसा कि वह हमेशा करता है, इस प्रक्रिया में मदद करके गौरवान्वित है।”
ट्रंप ने अपने पिछले ग्यारह महीनों के कार्यकाल का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने ऐसे आठ संघर्षों को समाप्त करवाया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिका अब ‘वास्तविक संयुक्त राष्ट्र’ के रूप में कार्य कर रहा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र, विशेष रूप से यूक्रेन-रूस संघर्ष जैसे मामलों में, अप्रभावी साबित हुआ है।
उन्होंने कहा, “पिछले ग्यारह महीनों में मैंने जिन आठ युद्धों और संघर्षों को सुलझाया है, उन्हें देखते हुए, शायद अमेरिका ही ‘असली संयुक्त राष्ट्र’ बन गया है। संयुक्त राष्ट्र ने इन संघर्षों में, यहाँ तक कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संकट में भी, कोई खास भूमिका नहीं निभाई है। संयुक्त राष्ट्र को विश्व शांति के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाना चाहिए!”
यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब थाईलैंड और कंबोडिया ने शनिवार को एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने सीमा विवाद को लेकर हफ्तों से चल रही लड़ाई को समाप्त कर दिया। इस समझौते में दोनों पक्षों ने सैन्य गतिविधियों को रोकने, सैनिकों की तैनाती को स्थिर करने और प्रभावित सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों को उनके घरों में सुरक्षित लौटने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की है।
बता दें कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष जुलाई में शुरू हुआ था। उस वक्त भी ट्रंप के हस्तक्षेप से युद्धविराम हुआ था, लेकिन कुछ ही हफ्तों में लड़ाई फिर से भड़क उठी थी। नए सिरे से हुई हिंसा में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई और करीब दस लाख लोग विस्थापित हुए। दोनों देश एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने और आम नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाते रहे हैं।
