आधुनिक तकनीक और हरित ऊर्जा की बढ़ती मांग के बीच, दुर्लभ पृथ्वी तत्व (rare earth elements) भू-राजनीतिक खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। चीन के एकाधिकार को तोड़ते हुए, जापान अब समुद्र तल से इन मूल्यवान खनिजों को निकालने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। 2027 तक, जापान की योजना है कि वह 6,000 मीटर से अधिक की गहराई से समुद्री तलछट को निकालकर दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का उत्पादन करे, जिससे चीन पर अपनी निर्भरता को कम किया जा सके।
दुर्लभ पृथ्वी तत्व इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों, स्मार्टफोन, सेमीकंडक्टर और रक्षा प्रणालियों जैसे कई रणनीतिक उद्योगों के लिए अनिवार्य हैं। इन तत्वों की बढ़ती वैश्विक मांग ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करने की दौड़ को तेज कर दिया है।
चीन वर्तमान में दुनिया भर में दुर्लभ पृथ्वी की आपूर्ति और प्रसंस्करण में सबसे आगे है। इस स्थिति को बदलने के लिए, जापान सक्रिय रूप से वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहा है, और अब उसने गहरी समुद्री खनन का रास्ता चुना है।
टोक्यो का लक्ष्य 2027 तक समुद्री तल से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों को निकालने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करना है। यह पहल जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में।
जापान समुद्री तल पर स्थित उन जमाओं को लक्षित कर रहा है जहां दुर्लभ पृथ्वी तत्वों, जैसे डिस्प्रोसियम (dysprosium) की महत्वपूर्ण मात्रा मौजूद है। डिस्प्रोसियम विशेष रूप से उच्च-प्रदर्शन वाले मोटर्स के निर्माण में उपयोग किया जाता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
जापान की यह रणनीति 2010 में चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों की याद दिलाती है। इस घटना ने जापान को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरी का एहसास कराया, जिसके बाद उसने विविधता लाने के प्रयास तेज कर दिए। वर्तमान में, जापान ने चीन पर अपनी निर्भरता को काफी हद तक कम कर लिया है, लेकिन वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा अभी भी बना हुआ है।
चीन के प्रभुत्व को कम करने के लिए, जापान ने पहले ही विदेशी निवेश और सहयोग के माध्यम से रणनीतिक कदम उठाए हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया में खनन और मलेशिया में शोधन को बढ़ावा देना शामिल है। हालांकि, यह कदम जापान को एक नई दिशा में ले जा रहा है, जो समुद्र की अछूती गहराइयों से संसाधनों का दोहन करेगा।
रणनीतिक नवाचार संवर्धन कार्यक्रम (SIP) के तहत, जापान एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहा है। मिनमिटोरिशिमा द्वीप पर एक प्रसंस्करण सुविधा स्थापित की जाएगी। यहां, गहरे समुद्र से निकाले गए कीचड़ को पहले संसाधित किया जाएगा, जिसमें पानी को अलग किया जाएगा, और फिर शेष सामग्री को मुख्य भूमि जापान में आगे के शोधन के लिए भेजा जाएगा।
प्रारंभिक परीक्षण खनन 2026 की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है। इस चरण में, समुद्र तल से मिट्टी के नमूने निकालकर यह परखा जाएगा कि क्या यह प्रक्रिया तकनीकी और आर्थिक रूप से व्यवहार्य है।
जापान ने इस परियोजना के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की है, जो इसके महत्व को दर्शाता है। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह न केवल जापान की दुर्लभ पृथ्वी आपूर्ति को सुरक्षित करेगी, बल्कि वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी बाजार में चीन के एकाधिकार को भी चुनौती दे सकती है। यह कदम जापान को रणनीतिक स्वायत्तता प्रदान करेगा और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों की एक स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
