बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी है। हाल ही में, मयमनसिंह के बालुका इलाके में दिपु चंद्र दास नामक 25 वर्षीय हिंदू युवक को भीड़ ने ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर पीट-पीट कर मार डाला। इस क्रूर हत्या के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश सरकार से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता, स्टीफन दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र बांग्लादेश की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और वे अपनी सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह सभी के लिए सुरक्षित माहौल बनाए। यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की ओर इशारा करती है।
इस सनसनीखेज मामले में, पुलिस ने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। दिपु चंद्र दास, जो एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था, को भीड़ ने उस समय निशाना बनाया जब उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया। बाद में उसके शव को जलाने का भी प्रयास किया गया।
इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने शरीफ उस्मान बिन हादी नामक एक अन्य व्यक्ति की हत्या पर भी चिंता व्यक्त की है, जो पिछले साल के विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा था। तुर्क ने सभी संबंधित पक्षों से शांति बनाए रखने और आगे की हिंसा से बचने की अपील की है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के विरोध में भारत में भी आवाज उठाई गई है। 22 दिसंबर को, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में बांग्लादेश के वीजा आवेदन केंद्र के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अपने अल्पसंख्यक नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
इस विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर, नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। कोलकाता में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश उच्चायोग के समक्ष एकत्रित होकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और भारत सरकार तथा अंतरराष्ट्रीय समुदायों से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
