ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने देश की सुरक्षा और विदेश नीति पर उठ रहे सवालों का कड़ा जवाब दिया है। सिडनी के बोंडी बीच पर यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलिया पर ‘तुष्टिकरण’ के गंभीर आरोप लगाए थे। अल्बनीज ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी देश की राजनीतिक नीतियों से जोड़ना गलत है।
प्रधानमंत्री अल्बनीज ने एक प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि बोंडी बीच की त्रासदी का कारण फिलिस्तीन को मान्यता देना नहीं, बल्कि आईएसआईएस (ISIS) की कट्टरपंथी विचारधारा है। उन्होंने कहा कि हमलावर इस्लाम के एक विकृत रूप से प्रभावित थे और उनका उद्देश्य समाज में नफरत फैलाना था। अल्बनीज के अनुसार, जांच में यह बात खुलकर सामने आई है कि यह हमला पूरी तरह से यहूदी विरोधी (Anti-Semitic) भावनाओं से प्रेरित था और हमलावर अपनी इस मंशा को लेकर किसी तरह के पछतावे में नहीं थे।
गौरतलब है कि नेतन्याहू ने दावा किया था कि ऑस्ट्रेलिया ने एंटी-सेमिटिज्म को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। हालांकि, अल्बनीज सरकार ने इस हमले के तुरंत बाद सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है। सरकार ने न केवल नाजी प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, बल्कि गन कंट्रोल और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए नए बजट का भी प्रावधान किया है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर 2025 में फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था, जिसका उद्देश्य मध्य पूर्व में शांति के लिए ‘दो-राज्य समाधान’ को बढ़ावा देना था। अल्बनीज ने साफ कर दिया है कि ऑस्ट्रेलिया अपनी शांतिपूर्ण नीतियों पर कायम रहेगा और किसी भी तरह के चरमपंथ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
