बांग्लादेश के म्यमनसिंह जिले में ईशनिंदा के बेहद गंभीर आरोप में भीड़ द्वारा एक हिंदू युवक, दीपू चंद्र दास, की बर्बर हत्या का मामला सामने आया है। भालुका के डब्लिया पारा इलाके में हुई इस घटना ने देश में अल्पसंख्यक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस वीभत्स कृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसने लोगों को झकझोर कर रख दिया है।
सूत्रों के अनुसार, गुरुवार की रात को हुई इस घटना में, दीपू चंद्र दास, जो पेशे से एक गारमेंट मजदूर थे और किराए के मकान में रहते थे, पर कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया। आरोप की सत्यता की जांच किए बिना ही, एक हिंसक भीड़ ने उन्हें घेर लिया और निर्ममतापूर्वक पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद, आक्रोशित भीड़ ने कथित तौर पर उनके शव को एक पेड़ से बांधकर आग के हवाले कर दिया। भालुका थाने के ड्यूटी अधिकारी रिपन मिया ने बीबीसी बांग्ला से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की कि मारे गए व्यक्ति का नाम दीपू चंद्र दास था।
इस निर्मम हत्या की गूंज भारत में भी सुनाई दी। पश्चिम बंगाल भाजपा ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। भाजपा ने इस घटना की तुलना पिछले साल मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा से की, जहां विरोध प्रदर्शनों के दौरान दो लोगों की जान चली गई थी।
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने अपने एक पोस्ट में कहा, “बांग्लादेश में ईशनिंदा के बेबुनियाद आरोप लगाकर एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को इस्लामवादियों ने बेरहमी से मार डाला। उसकी हत्या के बाद, उसके शरीर को पेड़ से लटकाकर जला दिया गया। यह भयावह कृत्य इस्लामी कट्टरपंथ के अनियंत्रित होने और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा से वंचित करने के नतीजों को दिखाता है।”
मालवीय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, “यह ठीक वही भविष्य है जिसकी ओर ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को ले जा रही हैं। एक ऐसा भविष्य जहाँ हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर, उनकी आवाज को दबाकर और उनके क्षेत्र को खतरे में डालकर, केवल राजनीतिक शक्ति की अपनी प्यास बुझाने के लिए। इतिहास गवाह है कि तुष्टिकरण की राजनीति के परिणाम क्या होते हैं। आज चेतावनियों को अनसुना करना कल की तबाही को न्योता देगा।”
यह घटना बांग्लादेश में जारी व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई है। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। इन प्रदर्शनों में आगजनी, तोड़फोड़ और सरकारी तथा मीडिया संस्थानों पर हमले की खबरें हैं। इन सब घटनाओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की स्थिति पर चिंताएं बढ़ा दी हैं। प्रदर्शनकारियों ने चिट्टागोंग में भारतीय सहायक उच्चायोग के समक्ष भी नारेबाजी की, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित हुआ।
