इस्लामाबाद की तरफ से किसी भी नुकसान से इनकार के बावजूद, अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू बेड़े के लिए 686 मिलियन डॉलर के एक बड़े मरम्मत और अपग्रेड पैकेज की स्वीकृति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत की ओर से मई में की गई जवाबी कार्रवाई, जिसे ऑपरेशन सिंदूर कहा गया, के बाद हुए वास्तविक नुकसान की ओर इशारा करता है।
यह अमेरिकी सहायता विशेष रूप से पाकिस्तान के F-16 फ्लीट के लिए है। जिस तरह से इस पैकेज की संरचना की गई है, वह सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, उन हमलों के बाद उत्पन्न हुई क्षति के अनुरूप है, जिनकी रिपोर्ट साल की शुरुआत में पाकिस्तान के प्रमुख वायु सेना ठिकानों पर की गई थी। वित्तीय सहायता का यह तरीका भारत के ऑपरेशन सिंदूर के प्रभाव को दर्शाता है, ऐसा उनका मानना है।
अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) ने आधिकारिक तौर पर इस सौदे की जानकारी अमेरिकी कांग्रेस को दी है। अधिसूचना में उन्नत एवियोनिक्स, सुरक्षित संचार प्रणालियों और मिशन-सक्षम करने वाली तकनीकों में सुधार शामिल हैं। विश्लेषकों का कहना है कि ये वही क्षेत्र हैं जहां ऑपरेशन सिंदूर के बाद नुकसान की खबरें आई थीं।
पिछले मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के आंतरिक दस्तावेजों से पता चला है कि भारतीय हवाई हमलों के बाद F-16 विमानों और संबद्ध सुविधाओं को नुकसान पहुंचा था।
अमेरिकी पैकेज में क्या-क्या है खास:
DSCA के अनुसार, 686 मिलियन डॉलर के इस पैकेज के तहत, पाकिस्तान को लिंक-16 टैक्टिकल डेटा लिंक सिस्टम, नवीनतम सुरक्षित संचार उपकरण, क्रिप्टोग्राफिक मॉड्यूल, ऑपरेशनल फ्लाइट प्रोग्राम (OFP) के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट, उन्नत मिशन प्लानिंग और डीब्रीफिंग सिस्टम, ग्राउंड टेस्टिंग इक्विपमेंट, और महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति की जाएगी।
इसके अलावा, इस सौदे में ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) से इंजीनियरिंग व तकनीकी सहायता, सिम्युलेटर का रखरखाव, विस्तृत मैनुअल, डिपो स्तर पर रखरखाव की मदद, और F-16 के एवियोनिक्स व हथियार एकीकरण प्रणालियों के पुनः प्रमाणन के लिए जरूरी हार्डवेयर भी शामिल हैं।
पैकेज में इनर्ट Mk-82 500-पाउंड बम की बॉडी भी शामिल की गई हैं, जिनका इस्तेमाल हथियार रिलीज और सिस्टम इंटीग्रेशन की टेस्टिंग के लिए किया जाएगा।
भारतीय सूत्रों का कहना है कि इस राशि का एक बड़ा हिस्सा उन मरम्मत और रिकवरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए है, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने आनन-फानन में पूरा करने की कोशिश की थी। इससे यह बात और पुख्ता होती है कि F-16 से जुड़ी महत्वपूर्ण प्रणालियों और बुनियादी ढांचे को चोट पहुंची थी।
पाकिस्तान के एयर बेस जैसे शाहबाज, मुशफ, मिन्हास, मसरूर और फैसल में तत्काल मरम्मत की जरूरतों का जिक्र पाकिस्तानी दस्तावेजों में किया गया था। उस समय जारी किए गए आपातकालीन टेंडरों में संचार प्रणालियों, मिशन सपोर्ट सर्वर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों, बिजली वितरण व्यवस्था, ग्राउंड टेस्टिंग उपकरणों और स्टोरेज प्रोसेसर के लिए आवश्यकताएं बताई गई थीं।
यह सब मिलकर, यानी पाकिस्तानी दस्तावेज और अमेरिकी सहायता पैकेज, विश्लेषकों के लिए यह तस्वीर साफ कर देते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के F-16 बेड़े से जुड़े बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हुआ था, भले ही इस्लामाबाद ने सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार न किया हो।
