मॉस्को: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपनी राजधानी मॉस्को में राजकीय यात्रा का निमंत्रण दिया। इस दौरान, उन्होंने एक हास्यप्रद टिप्पणी करते हुए कहा कि पुतिन को सिर्फ भारत की यात्राएं नहीं करनी चाहिए, बल्कि इंडोनेशिया भी आना चाहिए। यह दूसरी बार है जब इस साल दोनों नेता रूस में मिले हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ते मेलजोल का स्पष्ट संकेत है।
प्रबोवो ने कहा, “मैं आपको इंडोनेशिया आने के लिए आमंत्रित करता हूं। आप 2026 या 2027 में आ सकते हैं। हमें आपका स्वागत करके बहुत खुशी होगी। भारत को वह एकमात्र गंतव्य नहीं होना चाहिए जहां आप जाएं।” यह टिप्पणी पुतिन की हाल की भारत यात्रा के संदर्भ में की गई थी।
इस हल्के-फुल्के पल ने दोनों राष्ट्रपतियों के बीच सहजता और सौहार्द को दर्शाया।
राष्ट्रपति प्रबोवो की मॉस्को यात्रा उस समय हुई जब राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में भारत का दौरा किया था। इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकातें बेहद महत्वपूर्ण मानी गईं और इसे भारत-रूस संबंधों की मजबूती के तौर पर देखा गया। यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, ने रूस पर प्रतिबंधों को लेकर दबाव बढ़ा रखा था। भारत द्वारा रूसी तेल पर आयात शुल्क लगाने के बाद यह यात्रा और भी अहम हो गई थी।
भारत में पुतिन का भव्य स्वागत हुआ था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिलवाया और रेड कार्पेट बिछाया। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और वैश्विक सामरिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठकें वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत और रूस के बीच स्थायी साझेदारी की ओर इशारा करती हैं।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति का मॉस्को दौरा महत्वपूर्ण है। यह दिखाता है कि इंडोनेशिया रूस के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है, साथ ही अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को भी बनाए रखना चाहता है।
यह निमंत्रण इस बात का भी प्रतीक है कि इंडोनेशिया अपने क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकलकर दुनिया की प्रमुख शक्तियों के साथ राजनयिक संबंध बढ़ाना चाहता है।
जानकारों के अनुसार, यह मैत्रीपूर्ण वार्तालाप केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक संदेश भी है। यह इंगित करता है कि इंडोनेशिया भी चाहता है कि रूस के साथ उसके अपने संबंध मजबूत हों और वह पुतिन के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य बने। इंडोनेशिया अपनी वैश्विक उपस्थिति दर्ज कराने और मॉस्को को दक्षिण पूर्व एशिया की ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
इस मुलाकात ने यह भी दर्शाया कि रूस अपने पारंपरिक सहयोगियों के अलावा अन्य देशों के साथ भी संबंध मजबूत करने का इच्छुक है। दोनों देश व्यापार, प्रौद्योगिकी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जिससे भविष्य में इंडोनेशिया और रूस के बीच राजकीय यात्राओं का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
