म्यांमार के रखाइन प्रांत में एक बड़े मानवीय संकट के बीच, सेना ने विद्रोहियों के गढ़ म्रॉके-यू शहर के एक अस्पताल को निशाना बनाया है। बुधवार रात हुए इस हवाई हमले में 34 लोगों की मौत हो गई और लगभग 80 लोग घायल हो गए। मरने वालों में मरीज और अस्पताल कर्मी शामिल हैं। यह घटना देश के अशांत क्षेत्र में संघर्ष की बढ़ती भयावहता को दर्शाती है।
हवाई हमले का ताज़ा घटनाक्रम:
सैन्य जेट ने रात 9:13 बजे म्रॉके-यू के जनरल अस्पताल पर दो बम गिराए। एक बम सीधा घायल मरीजों के वार्ड में गिरा, जबकि दूसरा मुख्य इमारत के पास गिरा, जिससे पूरा अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, गुरुवार सुबह तक 34 शव बरामद किए गए, जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे। हमले के कारण आस-पास खड़ी गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गईं, और अस्पताल का चिकित्सा उपकरण नष्ट हो गया।
क्यों महत्वपूर्ण था यह अस्पताल?
यह अस्पताल म्रॉके-यू और आसपास के इलाकों के लिए जीवनदायिनी स्वास्थ्य सुविधा थी। जारी संघर्ष के कारण अधिकांश अन्य स्वास्थ्य केंद्र या तो बंद हो चुके थे या काम नहीं कर पा रहे थे। अराकन सेना (एए) द्वारा फरवरी 2023 में म्रॉके-यू पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद, डॉक्टरों ने स्थानीय लोगों को गंभीर चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए इस सुविधा को फिर से शुरू किया था। इस हमले से क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का एक महत्वपूर्ण स्तंभ गिर गया है।
अराकन सेना और म्यांमार का आंतरिक संघर्ष:
म्रॉके-यू, रखाइन राज्य का एक अहम कस्बा है, जो अराकन सेना (एए) के प्रभाव क्षेत्र में आता है। एए, रखाइन जातीय समूह का एक मजबूत सशस्त्र संगठन है, जो स्वशासन की मांग कर रहा है। हाल के महीनों में, एए ने सैन्य ठिकानों सहित कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। यह क्षेत्र 2017 के रोहिंग्या संकट से भी प्रभावित है, जिसने बड़े पैमाने पर विस्थापन और जातीय तनाव को जन्म दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया:
म्यांमार की सैन्य सरकार, जिसने 2021 में सत्ता पर कब्जा किया था, आगामी चुनावों के मद्देनजर अपनी सैन्य गतिविधियों को तेज कर रही है। इन चुनावों को कई देशों ने अवैध बताया है। नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी), जो निर्वाचित नेताओं का एक छाया मंत्रिमंडल है, ने इस बर्बर हमले की कड़ी निंदा की है। एनयूजी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से म्यांमार में मानवीय सहायता पहुंचाने और युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने का आग्रह किया है। यह घटना देश में गृह युद्ध की गंभीरता और आम नागरिकों पर इसके विनाशकारी प्रभाव को उजागर करती है।
