पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर, लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद, एक लाइव प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक महिला पत्रकार को आंख मारने (wink) के वायरल वीडियो के कारण तीव्र ऑनलाइन विवाद में घिर गए हैं। यह घटना तब हुई जब पत्रकार इमरान खान की हिरासत और सेना के ‘राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम’ वाले नैरेटिव पर सेना के आधिकारिक रुख पर सवाल उठा रही थी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रसारित हो रहे एक छोटे वीडियो क्लिप में, जनरल हमीद को महिला पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए दिखाया गया है। पत्रकार ने पूछा कि क्या सेना का इमरान खान के प्रति रुख पहले के वर्षों से अलग है।
अपने जवाब में, जनरल हमीद ने एक अतिरिक्त टिप्पणी की, “और चौथा मुद्दा यह है कि वह मानसिक रूप से बीमार भी हैं।” इसी दौरान, उनके चेहरे का भाव – जिसे कई लोगों ने महिला पत्रकार की ओर निर्देशित एक जानबूझकर आंख मारना माना – ने तत्काल आलोचना को भड़का दिया।
**आलोचना का सैलाब:**
ऑनलाइन यूजर्स ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की, इसे “अशोभनीय” और “पेशेवर नैतिकता के विपरीत” बताया। कई लोगों ने जनरल पर पत्रकार के साथ-साथ इमरान खान का भी अपमान करने का आरोप लगाया। पाकिस्तान में ‘अहमद (नॉट) शरीफ चौधरी’ हैशटैग ट्रेंड करने लगा, जिसमें व्यंग्यात्मक खाते इस घटना पर टिप्पणी कर रहे थे।
एक वायरल पोस्ट में कहा गया, “यह प्रेस ब्रीफिंग कम, शालीनता की हार ज्यादा लगती है।” एक अन्य टिप्पणीकार ने इसे “पाकिस्तान की सैन्य मीडिया मशीनरी में व्यावसायिकता के अंत” का प्रतीक बताया।
हालांकि सेना की ओर से इस इशारे की मंशा पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है, इस चुप्पी ने अटकलों को और हवा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के अत्यधिक राजनीतिक रूप से ध्रुवीकृत माहौल में, ऐसे प्रतीकात्मक हाव-भाव भी गहन अर्थ रखते हैं।
**घटना का संदर्भ:**
यह पहली बार नहीं है जब डीजी आईएसपीआर किसी विवाद में फंसे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (डीजी-आईएसपीआर) के प्रमुख के तौर पर, इमरान खान की गिरफ्तारी और सजा के बाद से पाकिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान सेना के संचार का चेहरा रहे हैं।
इस घटना की वायरल होने की वजह केवल कथित ‘आंख मारना’ नहीं थी, बल्कि यह उन व्यापक मुद्दों का प्रतीक बन गई जिनका पाकिस्तान सामना कर रहा है। इनमें प्रत्यक्ष पूछताछ के प्रति एक सैन्यीकृत राज्य की संवेदनशीलता, असहमति के लिए कम होती जगह, और एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक पत्रकार और राजनीतिक विरोधी दोनों का उपहास उड़ाने जैसी छवि शामिल है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान में डीजी-आईएसपीआर की ब्रीफिंग को बहुत सावधानी से तैयार किया जाता है। ऐसे में, इस तरह के शारीरिक हाव-भाव को संयोगवश नहीं माना जा सकता, जिसने इस घटना को एक वायरल क्लिप से कहीं अधिक गंभीर बना दिया है।
