नई दिल्ली, 10 दिसंबर से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने के लिए महत्वपूर्ण वार्ता का गवाह बनने जा रहा है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के शुरुआती चरण को अंतिम रूप देना है। पहले, दोनों देश 2025 के अंत तक इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन अमेरिकी व्यापार नीतियों में हुए परिवर्तनों, विशेष रूप से टैरिफ से जुड़े मुद्दों ने बातचीत की गति को प्रभावित किया था।
भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार, वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने हाल ही में एफआईसीसीआई (FICCI) के मंच पर संकेत दिया था कि वे इस वर्ष के अंत तक समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर होने को लेकर आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार में अस्थिरता के बावजूद, वार्ता काफी आगे बढ़ चुकी है। उन्होंने अपनी उम्मीदों को व्यक्त करते हुए कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि हम इस साल के भीतर ही एक समाधान पर पहुँच जाएँगे।”
गौरतलब है कि पूर्व अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए आयात शुल्कों का मुद्दा भी चर्चा में रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अगस्त 2019 में भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर भारतीय उत्पादों पर 25% का शुल्क लगाया था। अमेरिका ने ऐसे कई देशों पर व्यापार घाटे के कारण जवाबी शुल्क लागू किए थे।
भारत और अमेरिका के बीच इस महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की रूपरेखा फरवरी में दोनों देशों के नेतृत्व के निर्देशों के बाद तैयार की गई थी। इसका लक्ष्य वर्तमान 191 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाना है। इस समझौते की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान की गई थी।
