अफगानिस्तान के साथ व्यापार मार्गों पर अनिश्चितकालीन स्थगन ने पाकिस्तानी निर्यातकों और ट्रक ड्राइवरों के लिए एक गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। प्रमुख सीमा चौकियों पर दर्जनों ट्रक चालक हफ्तों से फंसे हुए हैं, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते राजनयिक गतिरोध का खामियाजा भुगत रहे हैं। यह स्थिति क्षेत्रीय व्यापार को लकवाग्रस्त कर रही है।
व्यापारिक आवाजाही ठप होने से सैकड़ों वाहन सीमा पर अटके पड़े हैं। इन वाहनों के चालक भोजन, पैसे और सुरक्षित आश्रय के बिना दयनीय स्थिति में जीवन गुजार रहे हैं।
निर्यातकों और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की कंपनियों के अनुसार, सीमा पार संचालन के बंद होने से पाकिस्तान से अफगानिस्तान, ईरान और मध्य एशिया की ओर जाने वाले किन्नू और अन्य उत्पादों के शिपमेंट लगभग रुक गए हैं।
यह व्यापारिक गतिरोध 11 अक्टूबर से जारी है। यह तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी और अफगान सुरक्षा बलों के बीच गंभीर झड़पें हुईं। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से यह सबसे गंभीर संघर्ष था। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान अपनी जमीन से संचालित होने वाले आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान संयुक्त वाणिज्य मंडल के अध्यक्ष, जुनैद मखदा ने बताया कि किन्नू निर्यातकों, माल वाहकों और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। खराब होने वाले सामान सीमा पर ही खराब हो रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह व्यापार बंद होने का समय अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वह अवधि होती है जब किन्नू निर्यात अपने मौसमी उच्च स्तर पर होता है। इससे किसानों से लेकर ट्रांसपोर्टरों तक, पूरी मूल्य श्रृंखला में आर्थिक तंगी आ गई है।
मखदा ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के उस फैसले की भी कड़ी आलोचना की, जिसमें ईरान और मध्य एशियाई देशों को ईरान के रास्ते से भेजे जाने वाले किन्नू निर्यात को जटिल वित्तीय नियमों से छूट देने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था।
पिछले वर्ष पाकिस्तान का किन्नू निर्यात 110 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। लेकिन इस मौजूदा संकट की वजह से इस साल यह आंकड़ा घटकर 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है। पाकिस्तान भर में हजारों कंटेनर, जिनमें द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार का माल है, फंसे हुए हैं। व्यापारियों और सीमा शुल्क एजेंटों को प्रतिदिन प्रति कंटेनर 150-200 अमेरिकी डॉलर के रूप में भारी विलंब शुल्क (डेमरेज) का भुगतान करना पड़ रहा है। मखदा ने सरकार से इन शुल्कों को तुरंत माफ करने की मांग की है, क्योंकि छोटे व्यवसायों और निर्यातकों पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है।
