प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती को दर्शाते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवद गीता का रूसी संस्करण भेंट किया। इस उपहार का आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव को मजबूत करने के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात पर जोर दिया कि भगवद गीता दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
राष्ट्रपति पुतिन का भारत में पारंपरिक गर्मजोशी से स्वागत किया गया। पीएम मोदी ने स्वयं उन्हें हवाई अड्डे से अपने आवास तक कार में ले जाकर दोनों नेताओं के बीच गहरे व्यक्तिगत और आधिकारिक संबंध को प्रदर्शित किया। राष्ट्रपति पुतिन चार साल के अंतराल के बाद भारत आए हैं और 5 दिसंबर तक उनकी यात्रा जारी रहेगी। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेता 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें रक्षा, व्यापार, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर गहन चर्चा की जाएगी।
भारत-रूस संबंधों की ऐतिहासिक जड़ों को रेखांकित करते हुए, पूर्व राजनयिक अरुण सिंह ने इस यात्रा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि रूस भारत का एक विश्वसनीय भागीदार रहा है, जिसने कठिन समय में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन किया है। रक्षा क्षेत्र में रूस से प्राप्त हथियारों, जैसे S-400 और ब्रह्मोस मिसाइल, ने भारतीय सेना की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है।
मॉस्को स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की लिडिया कुलिक ने इस दौरे को दोनों देशों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनके अनुसार, यह यात्रा व्यापार, आर्थिक संबंधों और रक्षा सहयोग में नई ऊंचाइयों को छुएगी। रूस भारतीय निर्यातकों के लिए अपने बाजार का विस्तार करने में रुचि रखता है, जबकि दोनों देश सैन्य आधुनिकीकरण और वैश्विक मुद्दों पर आपसी समन्वय को और बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी यात्रा से पहले भारतीय मीडिया को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने पीएम मोदी को एक दृढ़ निश्चयी नेता बताया जो बाहरी दबावों से अप्रभावित रहते हैं। पुतिन ने कहा कि भारत के लोग अपने प्रधानमंत्री पर गर्व कर सकते हैं। उन्होंने भारत-रूस संबंधों को ‘दोस्ती’ (druzhba) करार दिया, जो वर्तमान अस्थिर विश्व में स्थिरता का एक मजबूत स्तंभ है। पुतिन ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत-रूस सहयोग किसी तीसरे देश के खिलाफ निर्देशित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए है।
