विश्व की सबसे पुरानी परिचालन कंपनी के रूप में जापान की कोंगों गुमी (Kongō Gumi) का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। 578 ईस्वी में स्थापित यह कंस्ट्रक्शन कंपनी 1400 से अधिक वर्षों से सिर्फ बौद्ध मंदिरों के निर्माण और संरक्षण का कार्य कर रही है। यह असाधारण दीर्घायु इसे दुनिया की सबसे पुरानी जीवित कंपनी बनाती है, जिसने अनगिनत ऐतिहासिक उतार-चढ़ावों को पार किया है।
इसकी स्थापना कोरिया से आए शिगेमित्सु कोंगों ने की थी, जिन्हें जापान का पहला बौद्ध मंदिर, शित्तेनो-जी, ओसाका में बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उनकी विशेषज्ञता ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होकर इस कंपनी को वास्तुकला की दुनिया में एक अनूठा स्थान दिलाया।
हालांकि अब कोंगों परिवार सीधे तौर पर कंपनी नहीं चलाता, लेकिन कंपनी की आत्मा आज भी उनके सिद्धांतों पर आधारित है। 2006 में, वित्तीय कठिनाइयों के चलते, कोंगों गुमी को ताकामात्सु कंस्ट्रक्शन ग्रुप ने खरीद लिया।
वर्तमान में, यह ताकामात्सु ग्रुप के तहत कोंगों गुमी डिवीजन के नाम से सक्रिय है, और मंदिर निर्माण की अपनी सदियों पुरानी कला को जीवित रखे हुए है। कंपनी की विरासत को 41वीं पीढ़ी की प्रमुख, मसाकाज़ू कोंगों की बेटी, के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है, जो परिवार के गौरवशाली इतिहास को बनाए रखने के लिए समर्पित हैं।
अपने अधिग्रहण से पूर्व, 2005 में, इस कंपनी का वार्षिक राजस्व लगभग 7.5 बिलियन येन (करीब 4.33 अरब रुपये) था और इसमें लगभग 100 लोग काम करते थे। हालांकि, उस समय कंपनी पर 4 बिलियन येन (2.31 अरब रुपये) का कर्ज भी था।
परिवार के अंतिम प्रमुख, मसाकाज़ू कोंगों, 40वीं पीढ़ी के वंशज थे।
छठी शताब्दी में शुरू हुई यह यात्रा, कोंगों गुमी को न केवल एक व्यवसाय के रूप में स्थापित करती है, बल्कि यह धैर्य, अद्भुत शिल्प कौशल और पारिवारिक विरासत को आधुनिक युग तक बनाए रखने की प्रेरणा का एक जीता-जागता प्रमाण है।
