सऊदी अरब की मध्यस्थता में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही शांति वार्ता एक बार फिर असफल साबित हुई है। अफगानिस्तान से प्राप्त खबरों के अनुसार, रियाद में आयोजित यह महत्वपूर्ण बैठक किसी भी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच सकी। इस विफलता ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है।
अफगानिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब गया था, जहां उन्होंने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ सीमा विवाद और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। हालांकि, यह बैठक किसी भी सकारात्मक परिणाम तक नहीं पहुंची और वार्ता टूट गई। इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है, जिससे अटकलों का बाजार गर्म है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर पिछले कुछ समय से गंभीर संघर्ष चल रहा है। इस्लामाबाद का कहना है कि अफगानिस्तान की धरती से उसके खिलाफ आतंकवादी हमले किए जा रहे हैं, और तालिबान सरकार इन तत्वों पर नियंत्रण रखने में विफल रही है। दूसरी ओर, काबुल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पाकिस्तान पर अफगान नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार करने और उन्हें जबरन निर्वासित करने का आरोप लगाया है।
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रयास पहले भी हुए हैं, जिनमें तुर्की और कतर जैसे देशों ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई है। हालांकि, कोई भी प्रयास स्थायी शांति स्थापित करने में सफल नहीं रहा है। कुछ महीने पहले दोहा में एक अस्थायी युद्धविराम पर सहमति बनी थी, लेकिन इस्तांबुल में हुई अगली बैठकें बेनतीजा रहीं।
वर्तमान में, डूरंड लाइन सीमा 47 दिनों से व्यापार के लिए बंद है, जिससे दोनों देशों के व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। अफगानिस्तान के सरकारी अधिकारियों ने पड़ोसी देशों से व्यापारिक संबंधों को राजनीतिक विवादों से अलग रखने का आग्रह किया है, ताकि आर्थिक हितों की रक्षा हो सके। पाकिस्तान-अफगानिस्तान संयुक्त चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भी इस व्यापारिक रुकावट पर चिंता व्यक्त की है।
