अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए सऊदी अरब द्वारा की गई मध्यस्थता का प्रयास एक बार फिर असफल साबित हुआ है। अफगानिस्तान इंटरनेशनल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रियाद में दोनों पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पाया। यह रिपोर्ट सोमवार को सामने आई, जिसमें दावा किया गया कि तालिबान प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए सऊदी अरब गया था, लेकिन यह बैठक किसी भी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रही।
सऊदी अरब की मध्यस्थता में हुई इस ताजा वार्ता के नतीजों को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। यह पहली बार नहीं है जब दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास विफल हुए हैं। इससे पहले तुर्की और कतर भी मध्यस्थता की भूमिका निभा चुके हैं, लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति समझौते पर सहमति नहीं बन पाई थी।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा पर पिछले कुछ समय से अशांति का माहौल है। इस्लामाबाद का कहना है कि अफगानिस्तान में सक्रिय तत्व पाकिस्तान को निशाना बना रहे हैं, जबकि काबुल इन आरोपों से इनकार करता है। इसके साथ ही, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर अफगान शरणार्थियों को जबरन देश से निकालने का आरोप लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है।
इससे पहले, दोहा में हुई शुरुआती वार्ताओं से अस्थायी संघर्ष विराम की उम्मीद जगी थी, लेकिन बाद में इस्तांबुल में हुई बैठकें बेनतीजा रहीं। अफगानिस्तान के तोलो न्यूज के अनुसार, डूरंड लाइन सीमा पिछले 47 दिनों से व्यापार के लिए बंद है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। अफगानिस्तान के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से व्यापार को राजनीतिक विवादों से अलग रखने की अपील की है, ताकि आर्थिक नुकसान को कम किया जा सके। पाकिस्तान-अफगानिस्तान संयुक्त चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भी व्यापारियों के लिए बड़े आर्थिक नुकसान की आशंका जताई है।
