पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और सैन्य नेतृत्व एक जटिल खेल खेल रहा है, जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर प्रभाव डालना है। आर्मी चीफ आसिम मुनीर, जो अपनी सख्त छवि के लिए जाने जाते हैं, अब एक सूक्ष्म प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। इस अभियान का लक्ष्य अफगानिस्तान को एक वैश्विक आतंकवादी खतरे के रूप में चित्रित करना है, ताकि अमेरिका और चीन जैसे देशों को तालिबान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया जा सके। यह एक परिष्कृत मनोवैज्ञानिक युद्ध है, जो हाल की घटनाओं का चतुराई से उपयोग कर रहा है।
पाकिस्तान की इस रणनीति में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जो देश दशकों से आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप झेल रहा है, वह खुद अफगानिस्तान पर उंगली उठा रहा है। यह वही राष्ट्र है जिसका नाम ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद जैसे आतंकियों से जुड़ा रहा है। अब, दो हालिया आतंकवादी घटनाओं को आधार बनाकर, पाकिस्तान दुनिया को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है कि अफगानिस्तान ही असली खतरा है। पाकिस्तान की अपनी सेना तालिबान को नियंत्रित करने में असमर्थ है, इसलिए वह इन महाशक्तियों से सहायता की उम्मीद कर रहा है।
मुनीर की रणनीति के पीछे की प्रमुख घटनाएं
हाल की दो घटनाओं ने मुनीर को इस दुष्प्रचार के लिए महत्वपूर्ण आधार प्रदान किया है। पहली घटना अमेरिका में हुई, जहाँ व्हाइट हाउस के पास एक अफगान नागरिक ने नेशनल गार्ड के जवानों पर हमला कर दिया, जिसमें एक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। दूसरी घटना ताजिकिस्तान में हुई, जहाँ एक ड्रोन हमले में तीन चीनी नागरिक मारे गए। इस हमले के पीछे अफगानिस्तान से संचालित होने का आरोप है।
इन घटनाओं को भुनाने के लिए, पाकिस्तान अब इन हमलों को तालिबान के बढ़ते प्रभाव के सबूत के तौर पर पेश कर रहा है। उनका तर्क है कि तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। पाकिस्तान का उद्देश्य अमेरिका और चीन को इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर करना है, जिससे वह अप्रत्यक्ष रूप से तालिबान को कमजोर कर सके।
आतंकवाद पर पाकिस्तान का दोहरा मापदंड
पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर आतंकवाद का आरोप उसके अपने इतिहास को देखते हुए हास्यास्पद है। दशकों से, पाकिस्तान पर दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने का आरोप लगता रहा है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
हाल ही में, अमेरिकी धरती पर आतंकवादी हमले की साजिश रचने के आरोप में पाकिस्तानी मूल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल, एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक पर अमेरिकी नेताओं की हत्या की योजना बनाने का आरोप लगा था। 2015 के सैन बर्नार्डिनो गोलीबारी की घटना में भी पाकिस्तानी मूल के आतंकवादी शामिल थे। 2010 में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में एक आत्मघाती बमबारी का प्रयास भी एक पाकिस्तानी नागरिक द्वारा किया गया था।
ऐसे इतिहास के बावजूद, पाकिस्तान का आतंकवाद पर नैतिकता का पाठ पढ़ाना अत्यंत चिंताजनक है।
तालिबान का सीधा जवाब
तालिबान ने पाकिस्तान की इन चालों का पुरजोर खंडन किया है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने दावा किया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इन घटनाओं को अंजाम दे रही है ताकि तालिबान को बदनाम किया जा सके। उनका कहना है कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान के भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मजबूत होते संबंधों से डर है।
यह आरोप पाकिस्तान के अपने playbook का हिस्सा है, जिसमें झूठे झंडे वाले ऑपरेशन और दुष्प्रचार का इस्तेमाल कर वैश्विक शक्तियों को प्रभावित करना शामिल है।
