भारत अब और भी घातक हो गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने 93 मिलियन डॉलर के दो ऐसे सैन्य सौदों को मंजूरी दी है जो भारतीय सेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। ये सौदा भारतीय सेना को ऐसे हथियार प्रदान करेंगे जिनसे वह दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को पलक झपकते ही तबाह कर सकेगी।
अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) ने 45.7 मिलियन डॉलर के एफजीएम-148 जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम की बिक्री को मंजूरी दी है। यह वही ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ मिसाइल है जिसने यूक्रेन में रूसी टैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया था। इस सौदे में भारत को 100 जैवलिन मिसाइलें, 25 लॉन्च यूनिट, प्रशिक्षण किट और अन्य सहायक उपकरण मिलेंगे। इसकी मदद से भारतीय सैनिक 2 किलोमीटर से अधिक दूर से भी दुश्मन के टैंकों को निशाना बना सकेंगे और मिसाइल अपने आप लक्ष्य का पीछा करेगी।
दूसरा सौदा 47.1 मिलियन डॉलर का है, जिसके तहत भारत को 216 एम982ए1 एक्सकैलिबर प्रेसिजन-गाइडेड आर्टिलरी राउंड्स मिलेंगे। ये लेजर-निर्देशित और जीपीएस-सक्षम गोले हैं जो दर्जनों किलोमीटर दूर से भी बेहद सटीकता से लक्ष्यों पर वार कर सकते हैं। इन गोलों से भारतीय तोपखाने की सटीकता सर्जिकल स्ट्राइक जैसी हो जाएगी।
जैवलिन मिसाइल की ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक इसे खास बनाती है। पुराने सिस्टमों में सैनिकों को मिसाइल दागने के बाद भी उसे गाइड करना पड़ता था, जिससे वे खतरे में पड़ जाते थे। जैवलिन में इंफ्रारेड मार्गदर्शन प्रणाली है, जिससे मिसाइल दागने के बाद सैनिक तुरंत सुरक्षित हो सकते हैं। यह मिसाइल टैंकों के सबसे कमजोर ऊपरी हिस्से पर हमला करने के लिए डिज़ाइन की गई है। जैवलिन सिर्फ टैंक ही नहीं, बल्कि अन्य बख्तरबंद वाहन और मजबूत ठिकाने भी तबाह कर सकती है।
यह सौदा भारत के लिए एक रणनीतिक जीत है। अमेरिकी एजेंसी के अनुसार, इन हथियारों से भारत मौजूदा और भविष्य के खतरों से बेहतर ढंग से निपट सकेगा और अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंध और मजबूत होंगे। ये हथियार भारतीय सेना के स्टॉक को फिर से भरने और उनकी युद्धक क्षमता को बढ़ाने में मदद करेंगे, साथ ही अमेरिकी सेना के साथ मिलकर काम करने की क्षमता में भी सुधार करेंगे।
इस सौदे से भारत के पड़ोसियों को एक स्पष्ट संदेश मिलता है कि भारतीय सेना अब किसी भी हमले का जवाब देने और किसी भी खतरे को उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त करने में सक्षम है। एक्सकैलिबर की सटीकता और जैवलिन की मारक क्षमता के साथ, भारत की रक्षा प्रणाली अब कहीं अधिक मजबूत हो गई है, जिससे दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में और भी अधिक झुक गया है।
