अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट ने चीन पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अपने लड़ाकू विमान J-35 को बढ़ावा देने और फ्रांसीसी राफेल की बिक्री को रोकने के लिए AI-संचालित दुष्प्रचार फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रिपोर्ट में भारत की जवाबी कार्रवाई और चीन के विस्तारवादी इरादों पर भी प्रकाश डाला गया है।
वाशिंगटन: अमेरिकी-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आयोग ने दावा किया है कि चीन ने भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कार्रवाई के जवाब में अपने J-35 लड़ाकू विमानों को बेचने के लिए एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान चलाया। इस अभियान के तहत, चीन ने फर्जी सोशल मीडिया खातों का उपयोग करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा बनाई गई झूठी तस्वीरें फैलाईं। इन तस्वीरों में दावा किया गया कि ये उन विमानों के टुकड़े हैं जिन्हें चीनी हथियारों ने मार गिराया था। आयोग का मानना है कि यह कदम चीन की ‘ग्रे ज़ोन’ युद्धनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रक्षा बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करना है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य टकराव का फायदा उठाते हुए अपनी रक्षा क्षमताओं का बखान किया। यह सब बीजिंग की उन महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया जो उसके सैन्य और औद्योगिक विकास से जुड़ी हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि चीन का मुख्य लक्ष्य फ्रांस के राफेल विमानों की बिक्री रोकना और अपने J-35 लड़ाकू विमानों के लिए रास्ता बनाना था।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का सफल जवाबी कदम
यह ध्यान देने योग्य है कि 7 मई को भारत ने पुलवामा में अप्रैल में हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। इस साहसिक कार्रवाई में पाकिस्तान के अंदर स्थित आतंकवादी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। भारतीय वायु सेना प्रमुख एपी सिंह ने बाद में पुष्टि की थी कि भारतीय सेना ने इस दौरान पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक प्रमुख निगरानी विमान को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था।
सीमा पर चीन की चालबाजी और भारत का रुख
रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर भी चिंता जताई गई है। आयोग के अनुसार, चीन सीमा मुद्दे पर बातचीत को व्यापार जैसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करता है, लेकिन अपने मूल हितों से समझौता नहीं करता। वहीं, भारत एक स्थायी और विश्वसनीय सीमा समाधान चाहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब चीन की सीमा पर आक्रामक नीतियों को लेकर पहले से कहीं अधिक सतर्क है। आर्थिक सहयोग और सीमा प्रबंधन को लेकर हुए समझौते केवल कागजों तक सीमित हैं, जिनके क्रियान्वयन में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। आयोग ने यह भी संकेत दिया कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के भविष्य के उत्तराधिकारी का मुद्दा भारत और चीन के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।
