भारत ने फिलीपींस को अपनी शक्तिशाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों से लैस करके एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। इस ‘जहाज-मार’ हथियार की तैनाती से दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते नौसैनिक दबदबे पर गंभीर सवालिया निशान लग गया है। यह 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा, जो भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात है, बीजिंग की विस्तारवादी नीतियों के लिए एक मजबूत प्रतिरोध का संकेत देता है।
ब्रह्मोस: चीन के लिए ‘नाईटमेयर’ का सच:
यह सौदा फिलीपींस को तीन ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी प्रदान करता है, जो किसी भी आने वाले युद्धपोत को सेकंडों में नष्ट करने की क्षमता रखती हैं। भारत, जो कभी हथियारों का प्रमुख आयातक था, अब खुद ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक तकनीक का निर्यातक बन गया है। यह मिसाइल अपनी गति और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है, और चीन के रक्षा विशेषज्ञों के बीच यह पहले से ही चिंता का विषय रही है। यह निर्यात न केवल भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता भी रखता है।
रक्षा निर्यात से चीन को रोकना:
अमेरिकी पत्रिका ‘द नेशनल इंटरेस्ट’ के अनुसार, यह सौदा सिर्फ एक रक्षा खरीद से कहीं बढ़कर है। यह भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके तहत वह चीन की आक्रामक विस्तारवाद का मुकाबला करने के लिए मित्र देशों के साथ सैन्य गठबंधन मजबूत कर रहा है। भारत का लक्ष्य एक ऐसा सुरक्षा ढांचा तैयार करना है जो चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगा सके।
चीनी नौसेना के लिए सीधी धमकी:
दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक कार्रवाइयां, जिसमें फिलीपींस के समुद्री अधिकारों का उल्लंघन शामिल है, अब और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएंगी। ब्रह्मोस मिसाइलें, जिन्हें तटीय ठिकानों से लॉन्च किया जा सकता है, चीनी नौसेना और तटरक्षक बलों के लिए एक सीधा खतरा पेश करती हैं। वे अब फिलीपींस के जलक्षेत्र में बिना किसी गंभीर परिणाम के अपनी गतिविधियां नहीं कर पाएंगे।
मिसाइलों की तैनाती और भविष्य:
अप्रैल 2024 में ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप फिलीपींस पहुंच चुकी है, और दूसरी खेप अप्रैल 2025 में पहुंची। तीसरी खेप की भी जल्द ही उम्मीद है। निर्यात संस्करण 290 किलोमीटर की रेंज तक मार करने में सक्षम है। इसकी खास बात इसकी बहुमुखी प्रतिभा है, जिसे जमीन, जहाज, पनडुब्बी और विमान से लॉन्च किया जा सकता है। यह चीनी नौसेना के लिए एक बहुआयामी खतरा पैदा करेगा, जिससे उनकी रणनीतिक योजनाएं प्रभावित होंगी।
