बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने गुरुवार को ‘जुलाई राष्ट्रीय चार्टर (संवैधानिक सुधार) कार्यान्वयन आदेश, 2025’ जारी कर देश के संवैधानिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। इस नए आदेश ने एक प्रमुख धारा को रद्द कर दिया है, जो पहले संवैधानिक सुधार परिषद की निष्क्रियता की स्थिति में संवैधानिक संशोधनों को स्वचालित रूप से लागू करने की अनुमति देती थी।
नए प्रावधान के अनुसार, आगामी संसद एक दोहरी भूमिका निभाएगी। जनमत संग्रह में सहमति के बाद, यह विधायिका के साथ-साथ संवैधानिक सुधार परिषद के रूप में भी काम करेगी। इस परिषद को अपने पहले सत्र से 180 दिनों की अवधि के भीतर संवैधानिक संशोधनों को अंतिम रूप देने और अधिनियमित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इसके अतिरिक्त, इस आदेश के तहत एक द्विसदनीय संसद की स्थापना का प्रस्ताव है। जातीय संसद के उच्च सदन का गठन आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) के आधार पर किया जाएगा। मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने अपने एक राष्ट्रीय संबोधन में बताया कि उच्च सदन में 100 सदस्य होंगे, जिनका चयन राष्ट्रीय संसदीय चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त वोटों के अनुपात के अनुसार होगा। किसी भी संवैधानिक संशोधन को पारित करने के लिए उच्च सदन के आधे से अधिक सदस्यों का अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
प्रोफेसर यूनुस ने विस्तार से बताया कि यदि जनमत संग्रह सफल होता है, तो संवैधानिक सुधार परिषद में अगले संसदीय चुनावों के विजयी उम्मीदवार शामिल होंगे, जो संसद सदस्य भी होंगे। परिषद को अपनी बैठकों के 180 कार्य दिवसों के भीतर अपने सुधार संबंधी कार्य पूरे करने होंगे। इसके बाद, 30 कार्य दिवसों के भीतर उच्च सदन का गठन किया जाएगा और यह निम्न सदन के कार्यकाल की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा।
