अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करने के बयान के बाद, रूस ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि वह परमाणु परीक्षणों पर लगे प्रतिबंध का कड़ाई से पालन करेगा। क्रेमलिन ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐसे किसी भी परीक्षण का आदेश नहीं दिया है और मॉस्को परमाणु परीक्षणों को रोकने की नीति पर कायम है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने रूसी मीडिया को बताया कि रूस इस प्रतिबंध का सम्मान करता है और भविष्य में भी ऐसा ही करेगा।
पेस्कोव ने जोर देकर कहा, ‘रूस अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति सचेत है और पुतिन के नेतृत्व में हम परमाणु परीक्षण प्रतिबंध का पालन कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि, अगर कोई दूसरा देश, विशेष रूप से अमेरिका, इस दिशा में आगे बढ़ता है, तो हमें अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक संतुलन बनाए रखने के लिए जवाबी कार्रवाई करनी पड़ सकती है।’ यह बयान ट्रंप के उस दावे के जवाब में आया है जिसमें उन्होंने रूस के बराबर खड़े होने के लिए अमेरिका को परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्देश देने की बात कही थी।
डोनाल्ड ट्रंप के बयान से हलचल
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि अमेरिका, रूस और चीन से आगे है, और ‘अत्यधिक विनाशकारी शक्ति’ के कारण उन्हें परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। इस बयान ने दुनिया भर में हथियार नियंत्रण के पैरोकारों को चिंतित कर दिया है और रूस को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए मजबूर किया है।
रूस, अमेरिका से न्यू START संधि पर जवाब का इंतज़ार कर रहा है। विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि राष्ट्रपति पुतिन द्वारा 2026 में न्यू START संधि की समाप्ति के बाद रणनीतिक हथियारों पर स्वैच्छिक रोक जारी रखने के प्रस्ताव पर अमेरिका से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। लावरोव ने उम्मीद जताई कि अमेरिका इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगा, क्योंकि यह पारदर्शी है और किसी छिपे एजेंडे के बिना पेश किया गया है।
न्यू START संधि और वर्तमान स्थिति
न्यू START संधि, जो 2011 से लागू है, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों के जखीरे को सीमित करती है। इसे 2021 में पांच साल के लिए बढ़ाया गया था, लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण सत्यापन प्रक्रियाएं बाधित हुई हैं। इसके बावजूद, दोनों देश 2025 तक संधि की सीमाओं का पालन करने पर सहमत हुए हैं।
राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में 2025 के बाद भी स्वैच्छिक रोक जारी रखने का प्रस्ताव दिया है, जो रूस की शांतिपूर्ण नीति को दर्शाता है। हाल ही में रूस द्वारा किए गए ‘ब्यूरेवेस्तनिक’ मिसाइल और ‘पोसीडॉन’ ड्रोन के परीक्षणों पर पश्चिमी देशों में चिंता हुई थी। हालांकि, रूस ने स्पष्ट किया है कि ये परीक्षण परमाणु परीक्षण नहीं थे, क्योंकि इनमें कोई परमाणु विस्फोट शामिल नहीं था। वहीं, अमेरिका ने भी हाल ही में एक गैर-परमाणु मिसाइल का परीक्षण किया है।
यह उल्लेखनीय है कि रूस ने अपना अंतिम परमाणु परीक्षण 1990 में किया था, जबकि अमेरिका ने 1992 में। तब से, दोनों देश व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) का पालन कर रहे हैं, भले ही उन्होंने इसे औपचारिक रूप से अनुसमर्थित न किया हो।
