अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता में विफलता के बाद, तालिबान ने इस्लामाबाद को एक कड़ी चेतावनी जारी की है। इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी देश को अफगान धरती का इस्तेमाल उनकी सुरक्षा के खिलाफ करने की इजाजत नहीं देंगे।
तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि अफगानिस्तान का रुख स्पष्ट है: अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान के लोगों और भूमि की रक्षा करना हमारा इस्लामी और राष्ट्रीय कर्तव्य है।” उन्होंने आगे कहा, “अफगानिस्तान किसी भी आक्रमण का जवाब देगा।”
इस बीच, तालिबान ने उन मध्यस्थता प्रयासों के लिए तुर्की और कतर का धन्यवाद व्यक्त किया, जिनके कारण यह वार्ता हुई।
**पाकिस्तान पर बरसे तालिबान**
यह बयान तब आया है जब काबुल ने पाकिस्तान के कुछ सैन्य हलकों पर अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया है। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान के “कुछ सैन्य तत्व” सुनियोजित ढंग से तनाव पैदा कर रहे हैं क्योंकि वे अफगानिस्तान में एक स्थिर सरकार को अपने हितों के लिए खतरा मानते हैं।
तालिबान ने चिंता व्यक्त की कि पाकिस्तान के कुछ सैन्य अधिकारी अफगानिस्तान की शांति, सुरक्षा और विकास को अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए बाधा मानते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये तत्व क्षेत्र में अशांति का लाभ उठाकर अफगानिस्तान को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं।
**सीमा पर बढ़ रहा तनाव**
हाल ही में, दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़पों ने संबंधों को गंभीर रूप से खराब कर दिया है। इन झड़पों में दोनों तरफ कई लोगों की जान गई है। यह हिंसा 9 अक्टूबर को काबुल में हुए विस्फोटों के साथ शुरू हुई, जो उस समय हुई जब तालिबान के विदेश मंत्री भारत में थे। हालांकि, कतर की मध्यस्थता के बाद 19 अक्टूबर को एक संघर्ष विराम हुआ, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।
तालिबान ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के “गैर-जिम्मेदाराना” रवैये को बातचीत की विफलता का कारण बताया। फिर भी, उन्होंने पाकिस्तान के आम लोगों के प्रति सद्भावना व्यक्त की और शांति की उम्मीद जताई।
**टीटीपी पर पाक के दावों को किया खारिज**
पाकिस्तान द्वारा बार-बार यह दावा किए जाने पर कि टीटीपी का उभार काबुल में तालिबान की वापसी का परिणाम है, इस्लामिक अमीरात ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद की समस्या कोई नई नहीं है और 2021 से पहले भी ऐसे कई बड़े हमले हो चुके हैं। प्रवक्ता ने जोर देकर कहा, “यह मुख्य रूप से पाकिस्तान की अपनी आंतरिक समस्या है, और इसका इस्लामिक अमीरात से कोई लेना-देना नहीं है।”
**काबुल के सुरक्षा उपाय**
तालिबान सरकार ने क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें धार्मिक और राजनीतिक नेताओं के बीच संवाद को बढ़ावा देना, डूरंड लाइन के पास से आदिवासी शरणार्थियों का पुनर्वास करना और शरणार्थी शिविरों में हथियारों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है।
जैसे-जैसे कूटनीतिक रास्ते बंद हो रहे हैं और सीमा पर तनाव बढ़ रहा है, तालिबान की यह नई चेतावनी क्षेत्रीय संबंधों की नाजुकता को उजागर करती है और भविष्य में हिंसा को रोकने की चुनौतियों को दर्शाती है।
