दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में भू-राजनीतिक तनाव गहराता जा रहा है, जिसके केंद्र में वेनेजुएला और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बढ़ते मतभेद हैं। प्यूर्टो रिको में स्थित एक दशकों पुराने, परित्यक्त नौसैनिक अड्डे, रोनाल्ड रीगन रोड्स, में हाल ही में हुई गतिविधियों ने अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा है। उपग्रहों द्वारा कैप्चर की गई इमेजरी से पता चलता है कि इस नौसैनिक अड्डे के रनवे और आसपास के क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का काम जोरों पर है। रनवे को साफ किया जा रहा है और डामर पर नई सतह डाली जा रही है, जो संभावित सैन्य उपयोग की ओर इशारा कर रहा है। यह रणनीतिक स्थान वेनेजुएला के तट से लगभग 800 किलोमीटर दूर है।
रोनाल्ड रीगन रोड्स बेस, जिसका निर्माण 1940 के दशक में हुआ था, अमेरिकी नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था। हालांकि, 2004 में इसे बंद कर दिया गया था और तब से यह उपेक्षित पड़ा था। इस अचानक पुनरुद्धार के कारण वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर बढ़ते अमेरिकी दबाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। अमेरिकी अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन सैन्य विश्लेषक इसे मादुरो सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से की जा रही तैयारी के रूप में देख रहे हैं।
इस बीच, प्यूर्टो रिको और सेंट क्रोक्स के नागरिक हवाई अड्डों पर भी महत्वपूर्ण उन्नयन हो रहे हैं। रनवे का विस्तार किया जा रहा है और लॉजिस्टिक सुविधाओं को मजबूत किया जा रहा है। भले ही इन सुविधाओं को नागरिक उड्डयन के लिए विस्तारित किया जा रहा है, लेकिन इनका दोहरा उपयोग सैन्य अभियानों के लिए भी किया जा सकता है। इन हवाई अड्डों की वेनेजुएला से निकटता किसी भी संभावित हवाई कार्रवाई के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी रक्षा विभाग और नौसैनिक विश्लेषकों का मानना है कि ये कदम मादुरो को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर करने के संकेत हैं। अमेरिका वेनेजुएला में मानवाधिकारों के उल्लंघन और लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन का आरोप लगाता रहा है। 2019 से, अमेरिका ने वेनेजुएला पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और मादुरो सरकार को अलग-थलग करने का प्रयास किया है। प्यूर्टो रिको में सैन्य गतिविधियों में वृद्धि को कूटनीतिक प्रयासों से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
वेनेजुएला की राजधानी काराकस में चिंता की लहर दौड़ गई है। राष्ट्रपति मादुरो को अमेरिकी आक्रमण का डर सता रहा है, और उन्होंने रूस और चीन से सामरिक सहायता की अपील की है। हाल ही में, एक रूसी आईएल-76 मालवाहक विमान वेनेजुएला पहुंचा, जो वैगनर समूह से जुड़े एक रूसी फर्म का बताया जा रहा है। इस विमान के पेलोड के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें हथियार, सैन्य उपकरण या खुफिया जानकारी शामिल हो सकती है। इस घटना ने वेनेजुएला के प्रति रूस के समर्थन को और मजबूत किया है।
मादुरो सरकार का कहना है कि अमेरिका वेनेजुएला के विशाल तेल भंडार पर नियंत्रण हासिल करने के लिए देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। वेनेजुएला, दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार में से एक का मालिक होने के बावजूद, लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वाशिंगटन का बढ़ता दबाव इस नाजुक स्थिति को और जटिल बना रहा है।
दक्षिण अमेरिका में बढ़ते भू-राजनीतिक खेल में रूस और चीन, जो अमेरिका के क्षेत्रीय प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं, वेनेजुएला के साथ अपने संबंधों को गहरा कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र में संभावित अस्थिरता को लेकर चिंता जताई है। यदि वर्तमान सैन्य जमावड़ा जारी रहता है, तो एक छोटी सी घटना भी बड़े क्षेत्रीय संघर्ष का कारण बन सकती है। पिछले वर्ष वेनेजुएला की सीमा संबंधी विवादों को लेकर ब्राजील और गुयाना के साथ झड़पें हो चुकी हैं।
प्यूर्टो रिको में सक्रिय किया गया नौसैनिक अड्डा वर्तमान वैश्विक शक्ति संतुलन और पुरानी प्रतिद्वंद्विता के पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया है। यह देखना बाकी है कि क्या यह केवल एक कूटनीतिक संकेत है या एक बड़े सैन्य टकराव की प्रस्तावना।
