अफगानिस्तान पर नियंत्रण के बाद, तालिबान ने अब पाकिस्तान को लेकर अपनी आक्रामक नीति का प्रदर्शन किया है। हाल ही में जारी किए गए ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ नामक एक नक्शे ने इस्लामाबाद के साथ संबंधों में नई खटास पैदा कर दी है। इस नक्शे में पाकिस्तान के विशाल भूभाग, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और पश्तून बहुल इलाकों को अफगानिस्तान का हिस्सा दर्शाया गया है।
डूरंड लाइन, जिसे पाकिस्तान अपनी आधिकारिक सीमा मानता है, तालिबान द्वारा कभी स्वीकार नहीं की गई है। यह रेखा दोनों देशों के बीच लगातार सीमा विवादों और झड़पों का कारण रही है। तालिबान का मानना है कि ऐतिहासिक रूप से अफगान क्षेत्र इस रेखा से कहीं आगे तक फैला हुआ है।
यह नक्शा खोस्त प्रांत में एक कार्यक्रम के दौरान तालिबान के उप आंतरिक मंत्री मोहम्मद नबी उमरी के समक्ष पेश किया गया। ‘आमज न्यूज’ के अनुसार, इस आयोजन में पाकिस्तान को जातीय आधार पर विभाजित कर दिखाया गया, जिसमें विभिन्न हिस्से अफगानिस्तान के साथ एकीकृत नजर आए। इस नक्शे में डूरंड लाइन का कहीं भी उल्लेख नहीं था, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सीमा है।
अफगानिस्तान के खोस्त में हुई एक सभा में, तालिबान उप मंत्री को ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ का एक ऐसा नक्शा सौंपा गया, जिसमें पाकिस्तान के नक्शे को अलग ढंग से प्रस्तुत किया गया था।
इसके साथ ही, एक तालिबान सैन्य परेड के दौरान, पाकिस्तान के लिए बेहद आपत्तिजनक गाने गाए गए। एक गीत में स्पष्ट रूप से कहा गया, ‘हम लाहौर में अपना सफेद झंडा फहराएंगे और इस्लामाबाद को आग लगा देंगे।’ यह बयान तालिबान लड़ाकों और अधिकारियों के बीच जोरदार तालियों के साथ स्वागत किया गया, जो पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
उप मंत्री उमरी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को आगाह किया कि काबुल किसी भी नए युद्ध का सामना उसी जज्बे से करेगा, जैसा उसने सोवियत संघ और अमेरिका के खिलाफ किया था। खोस्त में आयोजित एक समारोह में, जिसमें युवा लड़कों ने सैन्य यूनिफॉर्म पहन रखी थी, तालिबान की राष्ट्रवादी और सैन्य महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन हुआ।
इस नक्शे और बयानों ने दोनों देशों के बीच पहले से नाजुक रिश्तों को और गहरा दिया है। 1893 में ब्रिटिश राज द्वारा निर्धारित डूरंड लाइन हमेशा से एक विवादास्पद मुद्दा रही है। जहां पाकिस्तान इसे अपनी संप्रभु सीमा मानता है, वहीं तालिबान इसे उपनिवेशवादी विभाजन कहकर खारिज करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम तालिबान के बढ़ते आत्मविश्वास और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ में पाकिस्तानी क्षेत्रों को शामिल करने का विचार इस्लामाबाद के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह पाकिस्तान के पश्तून क्षेत्रों में अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।
									 
					