पेंटागन की एक हालिया वर्गीकृत रिपोर्ट ने अमेरिकी वायु सेना (US Air Force) की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला है, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान में देश के पास भविष्य के युद्धों को जीतने के लिए पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वायु सेना को सुरक्षित रूप से काम करने और वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1,558 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में उसके पास इससे काफी कम विमान हैं।
यह रिपोर्ट ‘लॉन्ग-टर्म यूएसएएफ फाइटर फोर्स स्ट्रक्चर’ शीर्षक से, वायु सेना के आधुनिकीकरण और बेड़े के आकार पर एक गंभीर चिंता व्यक्त करती है। सूत्रों का कहना है कि यह रिपोर्ट पेंटागन के लिए एक चेतावनी है कि वह सबसे शक्तिशाली हवाई बेड़े को बनाए रखने और आधुनिक बनाने में पीछे रह रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, लड़ाकू विमानों की यह कमी अमेरिका को संभावित रूप से दो या दो से अधिक मोर्चों पर एक साथ युद्ध लड़ने की क्षमता को कमजोर करती है। यदि इस कमी को पूरा नहीं किया गया, तो लंबी अवधि के संघर्षों में हवाई श्रेष्ठता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन जाएगा।
वर्तमान में, अमेरिकी वायु सेना लगभग 1,271 लड़ाकू विमानों का बेड़ा संचालित करती है। इस संख्या में पुराने हो रहे ए-10 थंडरबोल्ट II विमान भी शामिल हैं, जिन्हें अगले कुछ वर्षों में सेवामुक्त कर दिया जाएगा। योजनाकारों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कम से कम 1,367 लड़ाकू विमानों का होना ‘मध्यम जोखिम’ की श्रेणी में आता है। इससे कम संख्या को ‘उच्च जोखिम’ माना जाता है, जहाँ मिशन की सफलता की गारंटी नहीं होती।
वायु सेना आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में है, जिसमें नए एफ-35ए लाइटनिंग II, एफ-15ईएक्स ईगल II और बी-21 रेडर जैसे उन्नत विमानों को शामिल किया जा रहा है। हालांकि, एफ-35 कार्यक्रम में सॉफ्टवेयर की समस्याओं और उत्पादन में देरी के कारण यह प्रक्रिया अपेक्षा से धीमी गति से चल रही है। इसके महत्वपूर्ण अपग्रेड, जो विमान की क्षमताओं को बढ़ाएंगे, समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
इसके विपरीत, पुराने विमानों, जैसे ए-10“वर्थोग” और एफ-15सी/डी ईगल को बनाए रखना कठिन और महंगा साबित हो रहा है। स्पेयर पार्ट्स की कमी, मरम्मत सुविधाओं पर दबाव और बढ़ते रखरखाव खर्चों के कारण वायु सेना के बजट पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा, प्रशिक्षित पायलटों की कमी और उनके प्रशिक्षण में आ रही बाधाएं भी एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं।
इस कमी को पूरा करने के लिए, वायु सेना कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्वायत्त प्रणालियों पर भी भरोसा कर रही है। सहयोगी लड़ाकू विमान (CCA) कार्यक्रम के तहत, ड्रोन को मानवयुक्त विमानों के सहायक के रूप में विकसित किया जा रहा है। ये ड्रोन टोही, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और हमले जैसे मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उम्मीद है कि ये ड्रोन पायलटों पर दबाव कम करेंगे और परिचालन लागत को भी नियंत्रित करेंगे। हालाँकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या ये ड्रोन पूरी तरह से मानव पायलटों की जगह ले पाएंगे।
रिपोर्ट का मुख्य संदेश स्पष्ट है: 1,558 लड़ाकू विमानों का लक्ष्य अमेरिकी वायु सेना के अस्तित्व और उसकी वैश्विक श्रेष्ठता के लिए आवश्यक है। पर्याप्त संसाधन, उत्पादन क्षमता में वृद्धि और नई प्रौद्योगिकियों के विकास के बिना, अमेरिका को भविष्य के युद्धों में अपनी बढ़त बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है।
									 
					