हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन का नया अध्याय लिखा गया है, जहां अमेरिका और भारत ने शुक्रवार को एक अभूतपूर्व 10-वर्षीय रक्षा सहयोग ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिकी रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ ने मलेशिया में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ इस महत्वपूर्ण समझौते को अंतिम रूप दिया। हेगसेथ ने इसे ‘एक आधारशिला’ बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध ‘पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे’।
यह समझौता केवल एक कागजी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को नियंत्रित करने के अमेरिकी एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ढांचा दोनों देशों के बीच सैन्य समन्वय, खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान और उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में सहयोग को बढ़ावा देगा।
अमेरिकी रक्षा सचिव ने इस सहयोग को ‘महत्वाकांक्षी’ बताया और कहा कि यह भविष्य में गहरी साझेदारी के लिए एक रोडमैप तैयार करता है। यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका भारत को एशिया में अपनी रणनीति के लिए एक अपरिहार्य भागीदार मानता है। यह प्रतिबद्धता किसी भी राजनीतिक परिवर्तन से परे, दीर्घकालिक सुरक्षा सहयोग का संकेत देती है।
इस समझौते के समय का भी विशेष महत्व है। यह आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस के मौके पर हुआ, जहाँ क्षेत्रीय सुरक्षा प्रमुख एजेंडा थी। इससे पहले, भारतीय विदेश मंत्री की अमेरिकी विदेश सचिव से मुलाकातें भी इस क्षेत्र में बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाती हैं। यह दिखाता है कि व्यापारिक मतभेदों के बावजूद, भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी मजबूत है। इस 10-वर्षीय सैन्य गठबंधन से चीन की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि इसने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के भू-राजनीतिक परिदृश्य को निर्णायक रूप से बदल दिया है।
 
									 
					