इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तुर्की की मध्यस्थता में हुई शांति वार्ता बेनतीजा रही, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष वार्ता में बाधा डालने का एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं। इस बीच, तालिबान ने इस्लामाबाद को स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि डूरंड रेखा के पार से कोई हमला होता है, तो वे “समान प्रतिक्रिया” देने से नहीं हिचकिचाएंगे।
**पाकिस्तान का विदेशी देश से गुप्त समझौता, ड्रोन हमलों की मिली इजाजत।** अफगानिस्तान के TOLO News की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने बातचीत के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने स्वीकार किया कि उसका एक विदेशी राष्ट्र के साथ ऐसा समझौता है, जिसके तहत उसे ड्रोन हमले करने की अनुमति मिलती है। TOLO News ने बताया, “पाकिस्तान ने माना कि एक विदेशी देश के साथ उसका एक समझौता है जो ड्रोन हमलों की इजाजत देता है, और वह इसे रोक नहीं सकता क्योंकि इस समझौते को तोड़ना संभव नहीं है।” हालांकि, पाकिस्तान ने उस विदेशी देश के नाम का खुलासा नहीं किया। यह स्वीकारोक्ति हाल ही में सऊदी अरब के साथ हुए रक्षा समझौते और अमेरिका के साथ बढ़ते सहयोग के बीच आई है।
**TTP पर कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान की मांग, तालिबान का जवाब ‘आंतरिक मामला’।** बातचीत के दौरान, पाकिस्तानी दल ने काबुल से टीटीपी (Tehrik-i-Taliban Pakistan) के हमलों के खिलाफ “जवाबी कार्रवाई” के अधिकार को मान्यता देने की मांग की। इसके विपरीत, तालिबान का रुख था कि टीटीपी से जुड़ा मामला पाकिस्तान का आंतरिक मसला है। तालिबान खेमे के सूत्रों ने TOLO News को बताया, “अफगान पक्ष इस बात का ध्यान रखेगा कि किसी को भी अफगान धरती का इस्तेमाल दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए न करने दिया जाए।”
**तालिबान का कड़ा रुख: पाकिस्तान की हवाई कार्रवाई पर होगा पलटवार।** तालिबान ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान की हवाई सीमा का उल्लंघन होता है, तो इस्लामाबाद को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। तालिबान प्रतिनिधियों के बयान के अनुसार, “यदि अफगानिस्तान के क्षेत्र पर बमबारी की जाती है, तो इस्लामाबाद को निशाना बनाया जाएगा।” यह चेतावनी पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि शांति समझौता नहीं हुआ तो पाकिस्तान “खुली जंग” का विकल्प चुन सकता है।
**वार्ता विफल, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी।** एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्टों से पुष्टि होती है कि वार्ता पूरी तरह से गतिरोध में है, और दोनों देश एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। पाकिस्तानी अधिकारी काबुल पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी “तार्किक और उचित मांगों” को स्वीकार न करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान पर बातचीत के दौरान “अनिच्छा” और “असंगठित” होने का आरोप लगाया। सुरक्षा स्रोतों का कहना है कि पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच तालमेल की कमी थी और वे बार-बार बातचीत छोड़कर चले गए।
