पाकिस्तान एक अभूतपूर्व संकट के मुहाने पर खड़ा है, जहां उसके अपने बनाए हुए आतंकवादी समूह, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), देश के अंदर और अफगानिस्तान की सीमा से हमला कर रहे हैं। टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद ने पुष्टि की है कि अफगानिस्तान के तालिबान नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा ने पाकिस्तान पर पूर्ण कब्जे का आदेश जारी किया है। यह घोषणा अफगानिस्तान के साथ सीमा पर एक हिंसक झड़प के बाद आई है, जिसमें पांच पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई, जिससे इस्लामाबाद में चिंता की लहर दौड़ गई है।
पाकिस्तान, जिसने कभी तालिबान को अपनी विदेश नीति के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया था, अब खुद को अपने ही पाले हुए जिहादियों के हमलों का सामना कर रहा है। अफगान तालिबान और टीटीपी के लड़ाके पाकिस्तानी सेना के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सक्रिय हैं।
**टीटीपी नेता का खुला आह्वान: ‘मुनीर की सेना को खत्म करो’**
हाल ही में सामने आए एक वीडियो में, टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद को खैबर पख्तूनख्वा में खुलेआम घूमते हुए और अपने लड़ाकों को पाकिस्तान पर कब्जे का आदेश देते हुए देखा गया। इस वीडियो ने पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों को सकते में डाल दिया है, क्योंकि यह दर्शाता है कि कैसे एक प्रमुख आतंकवादी कमांडर देश के अंदर बिना किसी डर के घूम रहा है, अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और पाकिस्तानी सेना को सीधे चुनौती दे रहा है। यह स्थिति खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान की शासन व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है।
**अफगानिस्तान से कोई मदद नहीं: इस्तांबुल वार्ता का असफल अंत**
पाकिस्तान ने हाल ही में इस्तांबुल में तालिबान नेतृत्व के साथ बातचीत करने की कोशिश की थी, जिसमें अफगानिस्तान की धरती से टीटीपी जैसी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने का आग्रह किया गया था। पाकिस्तान ने आतंकवादी ठिकानों के सबूत भी पेश किए। हालांकि, तालिबान ने इस मामले में मदद करने से साफ इनकार कर दिया और उल्टा पाकिस्तान को टीटीपी से सीधे बातचीत करने की सलाह दी। यह स्पष्ट संकेत है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान की मदद करने को तैयार नहीं है, और पाकिस्तान को अकेले ही इस समस्या से निपटना होगा।
**सैन्य वाहनों पर कब्जा और प्रतीकात्मक विनाश**
टीटीपी द्वारा पाकिस्तानी सेना के वाहनों को लूटना और उन्हें नष्ट करना, देश की सैन्य शक्ति और नियंत्रण पर एक खुला हमला है। ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें टीटीपी लड़ाके लूटे गए वाहनों का इस्तेमाल करते हुए दिख रहे हैं, जो पाकिस्तानी सेना के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का कारण है। टीटीपी खैबर पख्तूनख्वा के कई इलाकों में प्रभावी रूप से समानांतर सरकार चला रही है, जबकि पाकिस्तानी सेना मूक दर्शक बनी हुई है।
**परमाणु हथियारों पर विदेशी नियंत्रण का खुलासा**
एक पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाकोउ ने यह सनसनीखेज खुलासा किया है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार वास्तव में देश के नियंत्रण में नहीं हैं। उनके अनुसार, लॉन्च कोड अमेरिकी सेना के पास हैं, जिसका मतलब है कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता पर उसका अपना नियंत्रण नहीं है। यह खुलासा पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और भी चिंताजनक बनाता है, खासकर तब जब देश आंतरिक रूप से अस्थिर है और बाहरी खतरों का सामना कर रहा है। यह संभवतः इस डर के कारण है कि ये हथियार गलत हाथों में पड़ सकते हैं।
**पाकिस्तान का आत्म-निर्मित संकट**
यह स्थिति पाकिस्तान के लिए एक भयानक दुःस्वप्न साबित हो रही है, जो उसने स्वयं पैदा किया है। जिस तालिबान को उसने अफगानिस्तान में बढ़ावा दिया था, अब वही पाकिस्तान को नष्ट करने की धमकी दे रहा है। देश आंतरिक विद्रोह, सीमाई हमलों और अपनी परमाणु क्षमता पर बाहरी नियंत्रण जैसी बहुआयामी समस्याओं का सामना कर रहा है। भारत के आगामी बड़े सैन्य अभ्यास, त्रिशूल, पाकिस्तान पर दबाव को और बढ़ाएंगे।
पाकिस्तान ने तालिबान को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन अब वही तालिबान पाकिस्तान के विनाश का कारण बन रहा है।
