रूस ने यूक्रेन में अपनी सैन्य रणनीति को नया रूप देते हुए देश के महत्वपूर्ण ऊर्जा ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं। जानकारों के मुताबिक, रूस अब ड्रोन और मिसाइलों के संगठित इस्तेमाल के जरिए बिजली संयंत्रों, बिजली लाइनों, हीटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, गैस आपूर्ति के स्रोतों और भूमिगत भंडारणों को निशाना बना रहा है। इस वार का मकसद आने वाली सर्दियों के दौरान यूक्रेन की बिजली और हीटिंग क्षमता को कमजोर करना है।
हालिया हमलों में बड़ी संख्या में ड्रोन और मिसाइलों का एक साथ प्रयोग देखने को मिला। ड्रोनों को अब अधिक तेज, ऊंची उड़ान भरने और अचानक गोता लगाने की क्षमता के साथ उन्नत किया गया है, जिससे उन्हें रोकना मुश्किल हो रहा है। वहीं, मिसाइलों के सॉफ्टवेयर में ऐसे बदलाव किए गए हैं कि वे अचानक दिशा बदलकर अमेरिकी पैट्रियट जैसी अत्याधुनिक पश्चिमी वायु रक्षा प्रणालियों को भी धोखा दे सकती हैं।
पिछले महीनों के मुकाबले इंटरसेप्शन की दर में भारी गिरावट आई है, जो सितंबर में छह प्रतिशत तक पहुंच गई, जबकि अगस्त में यह 37 प्रतिशत थी। यह दिखाता है कि ये नई तकनीक कितनी प्रभावी साबित हो रही है।
रूस उन जगहों को निशाना बना रहा है जहाँ चोट लगने से सबसे ज़्यादा नुकसान हो। इसमें बिजली उत्पादन के स्थान और गैस वितरण के महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं, जिन पर बार-बार हमले किए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का इरादा पूरे क्षेत्रों में बिजली और गैस की कमी पैदा करना है, ताकि सर्दियों में नागरिक आबादी को अत्यधिक कष्ट झेलना पड़े।
यह रणनीतिक बदलाव पहले के हमलों से बिलकुल अलग है। पहले रूस के हमले कम व्यवस्थित थे और यूक्रेन की रक्षा प्रणालियाँ उन्हें काफी हद तक नाकाम कर देती थीं। लेकिन अब, उन्नत ड्रोन, मिसाइलों के अनिश्चित मार्ग और सटीक निशानेबाजी के मेल ने हमलों की सफलता दर को बढ़ा दिया है।
कहा जा रहा है कि रूसी योजनाकार हमलों के समय और तालमेल पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। 10 अक्टूबर को कीव के एक प्रमुख बिजली स्टेशन पर हुआ हमला इसी नई कार्यप्रणाली का प्रमाण है, जिसमें एक साथ कई शहरों को निशाना बनाया गया था।
यह भी महत्वपूर्ण है कि रूस का लक्ष्य केवल तत्काल क्षति पहुँचाना नहीं है। इन हमलों से मरम्मत और पुनर्निर्माण के प्रयासों पर लंबा दबाव पड़ेगा, जिससे ऊर्जा और गैस ढांचे की कमजोरी लंबे समय तक बनी रहेगी। यह कड़ाके की ठंड से पहले यूक्रेन की ऊर्जा सुरक्षा को जानबूझकर कमजोर करने की एक चाल है।
यह रणनीति रूस की ‘सीखने की प्रक्रिया’ को दर्शाती है। हर नए हमले में पिछली बार की गलतियों से सबक लिया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि ड्रोन और मिसाइलों की उन्नत तकनीक, साथ ही महत्वपूर्ण ऊर्जा ढांचों को चुनकर निशाना बनाना, यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र के खिलाफ रूस के अब तक के सबसे सोफिस्टिकेटेड अभियान को दर्शाता है।