अमेरिकी सरकार ने एच-1बी वीज़ा से जुड़े 100,000 डॉलर के नए शुल्क को लेकर महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है, जिससे लाखों विदेशी पेशेवरों को राहत मिली है। यह अपडेट उस समय आया है जब अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इस नई शुल्क नीति के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी, जिसे उन्होंने ‘अवैध’ करार दिया था।
**एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए नई गाइडलाइंस का मतलब:**
नई जारी की गई गाइडलाइंस एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए कई महत्वपूर्ण बातों को स्पष्ट करती हैं:
* **F-1 से H-1B में बदलाव:** उन श्रमिकों को, जो F-1 छात्र वीज़ा जैसी अन्य श्रेणियों से एच-1बी वीज़ा स्टेटस में आ रहे हैं, उन्हें 100,000 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।
* **मौजूदा धारकों के लिए नियम:** जो एच-1बी वर्कर पहले से ही अमेरिका में हैं और अपने वीज़ा में संशोधन, स्थिति में बदलाव या विस्तार की अर्जी दे रहे हैं, उन्हें भी इस भारी शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।
यह स्पष्ट किया गया है कि यह वीज़ा शुल्क केवल उन नए वीज़ा आवेदकों पर लागू होता है जो अमेरिका से बाहर हैं और जिनके पास अभी तक वैध एच-1बी वीज़ा नहीं है। सरकार ने नए आवेदनों के लिए एक ऑनलाइन भुगतान पोर्टल भी स्थापित किया है।
**वीज़ा शुल्क के खिलाफ कानूनी लड़ाई**
इस नए वीज़ा शुल्क के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया गया है, जिसमें तर्क दिया गया है कि यह अमेरिकी व्यवसायों पर भारी बोझ डालेगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे कंपनियों को या तो अपने कर्मचारियों की लागत बढ़ानी होगी या वे कम कुशल कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए मजबूर होंगे, जिनके लिए अमेरिका में पर्याप्त प्रतिभा उपलब्ध नहीं है। इसे अमेरिका के आर्थिक हितों के खिलाफ भी बताया गया है। यह एच-1बी वीज़ा नियमों के खिलाफ दूसरी बड़ी कानूनी चुनौती है।
**ट्रम्प प्रशासन का पक्ष**
सितंबर में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस कदम का उद्देश्य ‘अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देना’ बताया था। हालांकि, इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई कि क्या यह मौजूदा एच-1बी वीज़ा धारकों को भी प्रभावित करेगा। बाद में, व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया था कि यह शुल्क केवल नए वीज़ा के लिए है और इसे नवीनीकरण या वर्तमान वीज़ा धारकों पर लागू नहीं किया जाएगा।