डोनाल्ड ट्रंप, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति, ने एक बार फिर भारत के रूस से तेल आयात पर चिंता जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखता है, तो उसे “भारी शुल्क” चुकाना होगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और रूस के बीच तेल व्यापार बढ़ रहा है। ट्रंप का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत जल्द ही रूसी तेल की खरीद बंद कर देगा।
ट्रंप प्रशासन द्वारा पहले से लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के अलावा, यह नया शुल्क भारत पर कुल 50 प्रतिशत का बोझ डाल सकता है। भारत ने इन शुल्कों को “अनुचित” बताया है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन अपने फैसले का बचाव कर रहा है।
राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्यकाल में 79 वर्षीय रिपब्लिकन नेता ट्रंप ने कई बार ऐसे कड़े रुख अपनाए हैं। वह अक्सर व्यापारिक साझेदारों पर कड़े कदम उठाने की बात करते रहे हैं।
भारत सरकार ने ट्रंप के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वे प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच हुई किसी भी विशेष बातचीत से अवगत नहीं हैं। मंत्रालय का जोर इस बात पर है कि भारत की ऊर्जा नीति हमेशा से राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमारी ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए स्थिर और सस्ती ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना है।” यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। केप्लर नामक संस्था के आंकड़ों के अनुसार, भारत अपने कुल कच्चे तेल आयात का लगभग एक-तिहाई (34%) रूस से प्राप्त करता है। हालांकि, हाल के महीनों में इसमें थोड़ी कमी देखी गई है, जो अंतरराष्ट्रीय दबाव का संकेत हो सकता है।