ब्रह्मांड का एक अनसुलझा रहस्य, डार्क मैटर, जिसे हम देख या छू नहीं सकते, क्या अब हमारी पकड़ में आ रहा है? वैज्ञानिक हमारी मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र से आ रही एक अजीब गामा-रे चमक के स्रोत की पहचान करने के करीब पहुँच सकते हैं। यह चमक, जो दशकों से खगोलविदों को चकित कर रही है, संभवतः उस रहस्यमयी शक्ति का संकेत हो सकती है जो हमारे ब्रह्मांड को आकार देती है।
जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय और लीपज़िग इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण अध्ययन प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने मिल्की वे के गैलेक्टिक कोर में एक असामान्य गामा-रे उत्सर्जन का पता लगाया है। यह उत्सर्जन किसी भी ज्ञात खगोलीय घटना से मेल नहीं खाता, जिसने उन्हें एक क्रांतिकारी सिद्धांत की ओर अग्रसर किया है: यह डार्क मैटर का प्रमाण हो सकता है।
**एक अज्ञात प्रकाश स्रोत**
नासा के फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप से प्राप्त व्यापक डेटा का विश्लेषण करने के बाद, वैज्ञानिकों ने मिल्की वे के केंद्र से आने वाली एक फैली हुई, अपरिचित गामा-रे चमक को नोट किया। इस प्रकाश का मूल अज्ञात था, जो सामान्य तारों, ब्लैक होल, या अंतरतारकीय धूल से उत्पन्न नहीं हो रहा था।
इस पहेली का सामना करते हुए, शोधकर्ताओं ने दो प्रमुख संभावनाओं पर विचार किया:
* यह प्रकाश अत्यंत सघन, घूमने वाले पुराने तारों, जिन्हें पल्सर भी कहा जाता है, से आ रहा हो सकता है।
* यह अज्ञात डार्क मैटर कणों के एक-दूसरे से टकराने के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ हो सकता है।
यदि दूसरा विकल्प सही साबित होता है, तो यह वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक युगांतरकारी खोज होगी, जो ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला देगी।
**डार्क मैटर: ब्रह्मांड का अदृश्य ढांचा**
प्रोफेसर जोसेफ सिल्क, जिन्होंने इस अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बताते हैं, ‘डार्क मैटर ब्रह्मांड के अधिकांश हिस्से को बनाता है और गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से आकाशगंगाओं को एक साथ रखने का काम करता है। हमारे द्वारा देखी जा रही अतिरिक्त गामा-रे चमक डार्क मैटर के अस्तित्व का पहला ठोस संकेत हो सकती है।’
वर्तमान अनुमानों के अनुसार, ब्रह्मांड का लगभग 85% पदार्थ डार्क मैटर से बना है। हालांकि, इसकी अदृश्य प्रकृति के कारण, इसे प्रत्यक्ष रूप से मापना असंभव है। वैज्ञानिक केवल अन्य वस्तुओं पर इसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के आधार पर इसके अस्तित्व का अनुमान लगा सकते हैं।
**सिमुलेशन और वास्तविकता का मिलान**
अपने डार्क मैटर सिद्धांत को मान्य करने के प्रयास में, शोधकर्ताओं ने एक शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर का उपयोग करके मिल्की वे के भीतर डार्क मैटर के संभावित वितरण का एक जटिल मॉडल तैयार किया। जब इस सिमुलेशन की तुलना फर्मी टेलीस्कोप द्वारा दर्ज की गई वास्तविक गामा-रे डेटा से की गई, तो आश्चर्यजनक समानता देखी गई।
प्रोफेसर सिल्क के अनुसार, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि हमारी आकाशगंगा के निर्माण के समय, यह डार्क मैटर के एक विशाल बादल का हिस्सा थी। जैसे-जैसे सामान्य पदार्थ ठंडा हुआ और आकाशगंगा के केंद्र की ओर बढ़ा, यह अपने साथ कुछ डार्क मैटर भी ले आया।’ समय के साथ, अन्य आकाशगंगाओं से डार्क मैटर भी गैलेक्टिक कोर की ओर आकर्षित हो सकता है, जिससे कणों के टकराव और गामा किरणों के उत्सर्जन की संभावना बढ़ जाती है।
**आगे क्या?**
हालांकि यह खोज अत्यधिक रोमांचक है, फिर भी कुछ वैज्ञानिक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि गामा-रे प्रकाश का स्रोत अभी भी मरते हुए तारों या पल्सर से हो सकता है। इस अनिश्चितता को दूर करने के लिए, खगोलविद चिली में निर्माणाधीन सेरेनकोव टेलीस्कोप एरे (CTA) के चालू होने का इंतजार कर रहे हैं। यह अभूतपूर्व टेलीस्कोप, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली गामा-रे ऑब्जर्वेटरी होगा, संभवतः इस रहस्य को सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा और डार्क मैटर के अस्तित्व की पुष्टि करेगा।