पाकिस्तान की सेना के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सरगना नूर वली मसूद, जिसे पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को काबुल में हुई एक घटना में मर जाने का दावा किया था, अब एक वीडियो जारी कर इस दावे को झूठा साबित कर दिया है। यह आतंकवादी मरा नहीं, बल्कि जिंदा है और पाकिस्तान की सेना के दुष्प्रचार अभियान को सीधे चुनौती दे रहा है।
पाकिस्तान के अंदर से जारी इस वीडियो में, मसूद ने पाकिस्तानी सेना पर उसकी मौत की झूठी खबर फैलाने का आरोप लगाया है। उसने कहा कि यह सब पाकिस्तानी जनता और दुनिया को गुमराह करने के लिए किया गया। मसूद के अनुसार, यह एक सुनियोजित प्रोपेगेंडा था जिसका मकसद यह दिखाना था कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ जंग जीत रहा है, जबकि जमीनी हकीकत इसके विपरीत है।
वीडियो में मसूद ने यह भी दावा किया है कि उसके पास ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि टीटीपी पाकिस्तान के बड़े हिस्सों पर नियंत्रण रखता है।
नूर वली मसूद कौन है?
नूर वली मसूद ने 2018 में टीटीपी की कमान संभाली थी, जब उसके पिछले नेता अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारे गए थे। उसके नेतृत्व में, टीटीपी फिर से सक्रिय हुआ है, विभिन्न गुटों को एकजुट किया है और देश में अपना उग्रवाद बढ़ाया है। उसके कार्यकाल में, खासकर अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादी हमलों में काफी वृद्धि देखी गई है।
मसूद के नेतृत्व में टीटीपी ने सैन्य और आम नागरिकों, दोनों को निशाना बनाया है। इसने 2014 के पेशावर स्कूल हत्याकांड जैसी दर्दनाक घटनाओं की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें 130 से अधिक मासूम बच्चों की जान गई थी।
अंतरराष्ट्रीय बदनामी के बावजूद, पाकिस्तान लगातार भारत पर टीटीपी का समर्थन करने का बेबुनियाद आरोप लगाता रहा है, जिसे भारत ने बार-बार सिरे से खारिज किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मसूद का जिंदा सामने आना पाकिस्तान की अपनी धरती पर आतंकवाद को नियंत्रित करने में विफलता को दर्शाता है, साथ ही उस देश के दोहरे मापदंडों को भी उजागर करता है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
अफगानिस्तान के साथ सीमा पर तनाव
यह घटनाक्रम अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रहे सीमा संघर्षों के बीच सामने आया है। 9 अक्टूबर को पाकिस्तान ने काबुल, खोस्त और जलालाबाद में हवाई हमले किए थे, जिनका लक्ष्य टीटीपी प्रमुख मसूद था। इसके जवाब में, अफगान तालिबान ने 11-12 अक्टूबर के बीच पाकिस्तानी सीमा चौकियों पर हमले किए और कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद, पाकिस्तान ने कंधार और हेलमंद में जवाबी ड्रोन हमले किए, जिसमें कई लड़ाके मारे गए।