एक समय था जब अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों के गलियारे भारतीय मेधावी छात्रों से गुलजार रहते थे, खासकर STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में। लेकिन अब यह दृश्य बदल रहा है। हालिया आंकड़े एक चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हैं – भारतीय STEM स्नातकों का अमेरिका से मोहभंग हो रहा है और वे स्वदेश या अन्य देशों का रुख कर रहे हैं।
एक प्रमुख वेंचर कैपिटलिस्ट द्वारा साझा किए गए डेटा के अनुसार, 2017 में अपने चरम पर पहुंचने के बाद से अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कुल संख्या में 18% की गिरावट आई है। लेकिन भारतीयों के लिए यह आंकड़ा कहीं अधिक गंभीर है, क्योंकि उनकी संख्या में 42% की भारी कमी देखी गई है। यह गिरावट विशेष रूप से OPT (Optional Practical Training) कार्यक्रम के आंकड़ों में स्पष्ट है, जो अंतरराष्ट्रीय स्नातकों को अमेरिका में काम करने का अवसर देता है।
OPT ऑब्जर्वेटरी के आंकड़ों के मुताबिक, कुछ साल पहले तक लगभग 95% भारतीय STEM स्नातक अमेरिका में OPT के तहत अपना करियर शुरू करते थे। लेकिन अब यह प्रतिशत घटकर लगभग 78% रह गया है। यह दर्शाता है कि अमेरिका में करियर बनाने की उनकी इच्छा कम हो रही है। चीनी छात्रों के मामले में भी यह गिरावट देखी गई है, जहां OPT में रहने वालों का प्रतिशत 75% से घटकर 50% हो गया है।
इस बदलाव के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। अमेरिका की आव्रजन नीतियां, विशेष रूप से H-1B वीजा लॉटरी प्रणाली, अनिश्चितता पैदा करती है। कुशल श्रमिकों के लिए स्थायी निवास प्राप्त करने की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और समय लेने वाली हो गई है, जिससे स्नातकों को भविष्य की योजना बनाने में कठिनाई होती है। नौकरी प्रायोजकों को ढूंढना भी एक चुनौती बनता जा रहा है।
इसके विपरीत, अन्य देश भारत सहित वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रहे हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देश आसान स्थायी निवास विकल्प और अध्ययन-पश्चात कार्य वीजा की पेशकश कर रहे हैं। ये देश अमेरिकी प्रतिभा पलायन का लाभ उठाकर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर रहे हैं।
यह गिरावट अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है, क्योंकि भारतीय STEM स्नातकों ने हमेशा अमेरिकी नवाचार और तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। OPT ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, ये छात्र कभी अमेरिका में कुल अंतरराष्ट्रीय स्नातकों का लगभग 30% हुआ करते थे। उनके जाने से अमेरिका की तकनीकी और अनुसंधान क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
हालांकि, भारत के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है। कुशल भारतीय पेशेवर जो पहले अमेरिका की ओर आकर्षित होते थे, अब भारत के बढ़ते तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे बेंगलुरु और हैदराबाद, में अवसर पा सकते हैं। यह ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन गेन’ में बदलने की संभावना प्रदान करता है।
संक्षेप में, अमेरिका की अकादमिक और व्यावसायिक आकर्षण शक्ति में कमी आ रही है। भारतीय STEM छात्रों की OPT भागीदारी में आई गिरावट इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका का ‘ड्रीम डेस्टिनेशन’ के रूप में आकर्षण कम हो रहा है, और वे अब नए अवसरों की तलाश में दुनिया के अन्य हिस्सों का रुख कर रहे हैं।