पाकिस्तान शनिवार को 5.0 तीव्रता के भूकंप के झटकों से कांप उठा। राष्ट्रीय भूविज्ञान केंद्र (NCS) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह भूकंप देश में आया और इसकी जड़ें मात्र 10 किलोमीटर की गहराई में थीं। इस उथली गहराई के कारण, इस भूकंप से जुड़े हल्के झटके महसूस किए जाने की आशंका बनी हुई है।
NCS ने अपने आधिकारिक ‘X’ हैंडल पर बताया कि भूकंप शनिवार को भारतीय समयानुसार रात 8:23 बजे से कुछ मिनट पहले (20:23:57 IST) रिकॉर्ड किया गया। इसका केंद्र 31.19° उत्तरी अक्षांश और 71.04° पूर्वी देशांतर पर स्थित था। 10 किमी की गहराई भूकंप को ‘उथला’ बनाती है, जो अक्सर ज़मीनी स्तर पर अधिक प्रभाव डालता है।
यह घटना पाकिस्तान की भूकंपीय संवेदनशीलता का एक और प्रमाण है। इससे पहले 5 अक्टूबर को भी देश में 4.6 तीव्रता का एक भूकंप दर्ज किया गया था, जिसकी गहराई भी 10 किलोमीटर ही थी। इन घटनाओं से पता चलता है कि यह क्षेत्र लगातार टेक्टोनिक गतिविधियों के अधीन है।
भूकंप विशेषज्ञों का कहना है कि उथली गहराई वाले भूकंप अधिक विनाशकारी साबित हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भूकंपीय तरंगें कम दूरी तय कर सतह तक पहुँचती हैं, जिससे कंपन की तीव्रता बढ़ जाती है। यह इमारतों को नुकसान पहुँचा सकता है और जान-माल के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है।
पाकिस्तान एक उच्च भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, जहाँ कई प्रमुख भ्रंश रेखाएँ (fault lines) सक्रिय हैं। यह देश यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन बिंदु पर स्थित होने के कारण अक्सर बड़े भूकंपों का सामना करता है। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्र यूरेशियन प्लेट के दक्षिणी छोर पर स्थित हैं, जबकि पंजाब और सिंध उत्तर-पश्चिमी भारतीय प्लेट का हिस्सा हैं। यह भौगोलिक स्थिति बार-बार होने वाली भूकंपीय घटनाओं का मुख्य कारण है।
विशेष रूप से बलूचिस्तान, जो अरब सागर और यूरेशियन प्लेटों की सक्रिय सीमा के करीब है, भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। पंजाब और सिंध जैसे अन्य प्रांत भी अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भूकंप के जोखिम से अछूते नहीं हैं।
पाकिस्तान के इतिहास में सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक 1945 में बलूचिस्तान में आया था, जिसकी तीव्रता 8.1 मापी गई थी। यह अब तक का सबसे बड़ा भूकंपीय झटका है जिसका देश ने अनुभव किया है।