पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के नेतृत्व में की गई एक सैन्य कार्रवाई, जिसने अफगानिस्तान की सीमा के पास हवाई हमले किए, ने पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता की स्थिति पैदा कर दी है। इस्लामाबाद के अनुसार, इस हमले का मुख्य उद्देश्य टीटीपी के एक प्रमुख कमांडर नूर वली महसूद को निशाना बनाना था, जिस पर पाकिस्तान में हाल ही में हुए एक जानलेवा हमले का हाथ होने का आरोप था।
हालांकि, जमीनी हकीकत इससे काफी अलग निकली। टीटीपी ने तुरंत ही एक ऑडियो संदेश जारी कर नूर वली महसूद के मारे जाने की खबरों को झूठा बताया और उनके जीवित होने का दावा किया। इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दावों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है और इसे जनरल मुनीर के लिए एक बड़ी रणनीतिक चूक माना जा रहा है।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता पर सीधा हमला बताया है और कड़े शब्दों में इसकी निंदा की है। तालिबान ने पाकिस्तान को इसके अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है, खासकर अगर हमले में नागरिकों की जान जाती है।
इस बीच, अफगान विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर हैं, जहाँ उनकी भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात हुई। भारत ने अफगानिस्तान की सुरक्षा और संप्रभुता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और काबुल में अपने दूतावास को पूरी तरह से खोलने की घोषणा की, जिससे क्षेत्र में भारत की सक्रिय भूमिका का संकेत मिलता है।
पाकिस्तान के भीतर भी राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। गाजा में चल रहे संघर्ष के विरोध में टीएलपी द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण इस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इन प्रदर्शनों के हिंसक होने की खबरें हैं, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।