अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित करते हुए उसे “दुनिया की आर्थिक विकास का मुख्य इंजन” करार दिया है। IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के इन बयानों ने दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों को आश्चर्यचकित कर दिया है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार में तनाव और आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है।
जॉर्जीवा ने आगामी IMF और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों से पहले कहा, “चीन की आर्थिक रफ्तार धीमी होने के साथ, भारत एक प्रमुख विकास इंजन के रूप में उभरा है, जो वैश्विक विकास के परिदृश्य को बदल रहा है।”
उनके ये बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्कों के बाद आए हैं। इन शुल्कों के बावजूद, IMF प्रमुख ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के स्थायित्व पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है, हालांकि हम अभी भी अपनी अपेक्षित गति से काफी पीछे हैं।”
उन्होंने अमेरिका और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की अप्रत्याशित मजबूती की ओर इशारा किया। जॉर्जीवा ने अनुमान जताया कि “इस साल और अगले साल विकास दर में केवल मामूली गिरावट आएगी।” उन्होंने आगे कहा कि “वैश्विक अर्थव्यवस्था ने कई झटकों का सफलतापूर्वक सामना किया है, जो इसके लचीलेपन को दर्शाता है।”
इस स्थिरता के पीछे के कारणों में “बेहतर नीतिगत बुनियादी ढांचा”, निजी क्षेत्र की सक्रियता और “कम टैरिफ” को शामिल किया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “दुनिया व्यापार युद्ध के चक्रव्यूह में फंसने से बाल-बाल बची है।”
IMF का यह आकलन ऐसे समय आया है जब अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार को लेकर तनातनी बढ़ रही है। अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 50% आयात शुल्क लगाया है, जो विशेष रूप से रूस से भारत द्वारा खरीदे जाने वाले रियायती तेल को लक्षित करता है। अमेरिका ने भारत और चीन पर यूक्रेन युद्ध में रूस को आर्थिक मदद देने का आरोप लगाया है, जबकि भारत ने अपने आर्थिक फैसलों को राष्ट्रीय हित में बताया है।
जॉर्जीवा ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के किसी बड़े संकट में फंसने की आशंकाओं को खारिज किया। उन्होंने कहा, “लगाए गए शुल्कों का पूरा असर अभी दिखना बाकी है। अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की असली परीक्षा नहीं हुई है।” उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिकी टैरिफ दरें, हालांकि कुछ कम हुई हैं, फिर भी “अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक” हैं।
भारत ने इन अंतरराष्ट्रीय व्यापार शुल्कों को लेकर कोई विशेष चिंता नहीं जताई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दोहराया है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और विकास की गति स्थिर है। उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने में सक्षम है और विकास पथ पर अग्रसर है।”
यह आर्थिक मजबूती भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों से कहीं बेहतर प्रदर्शन करती है। भारत ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8% की प्रभावशाली जीडीपी वृद्धि दर्ज की है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मजबूत उपभोक्ता मांग, बढ़ा हुआ निवेश और जीएसटी दरों में कटौती जैसे उपायों ने इस वृद्धि को गति दी है।
IMF प्रमुख द्वारा भारत के आर्थिक सामर्थ्य को स्वीकार करना वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। जैसे ही वाशिंगटन में IMF की बैठकें शुरू होने वाली हैं, दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारत अपनी यह आर्थिक रफ्तार कैसे बनाए रखता है और मौजूदा वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में कितनी भूमिका निभाता है।