अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल-गाजा संघर्ष को समाप्त करने के लिए इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मिलकर 20-सूत्रीय शांति प्रस्ताव पेश किया। इस पहल का कई मुस्लिम देशों, जिनमें सऊदी अरब, पाकिस्तान और तुर्किए शामिल हैं, ने स्वागत किया।
हालांकि, प्रस्ताव में फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को लेकर कोई स्पष्ट गारंटी नहीं है, जिससे सवाल उठता है कि क्या इन देशों ने फिलिस्तीन के हितों को नुकसान पहुंचाया है?
ट्रंप के प्रस्ताव में फिलिस्तीन का उल्लेख है, लेकिन राज्य की स्थापना की ठोस रूपरेखा का अभाव है। प्रस्ताव में कहा गया है कि गाजा में पुनर्निर्माण और फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) के सुधारों के बाद ही राज्य बनने की संभावना पर विचार किया जाएगा। इसका मतलब है कि राज्य की स्थापना गाजा के विकास और PA में सुधार पर निर्भर करेगी। नेतन्याहू ने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य का मुद्दा ट्रंप के साथ उनकी बातचीत में नहीं उठा।
कई क्षेत्रीय देशों ने इस योजना का समर्थन किया है, जो पहले फिलिस्तीन के प्रबल समर्थक रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन देशों की कूटनीतिक प्राथमिकताएं अब आर्थिक स्थिरता और अमेरिका के साथ संबंधों पर केंद्रित हैं, जिससे फिलिस्तीन का मुद्दा गौण हो गया है। ट्रंप की योजना हिंसा को रोकने में मदद कर सकती है, लेकिन फिलिस्तीनियों के लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना का वादा नहीं करती है।
ट्रंप की योजना में गाजा में तत्काल युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और एक अंतर्राष्ट्रीय शांति बोर्ड का गठन शामिल है। बोर्ड की अध्यक्षता ट्रंप करेंगे, जिसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल होंगे।
मुख्य प्रावधान:
* इजराइल और हमास के बीच तुरंत युद्धविराम
* हमास द्वारा सभी इजरायली बंधकों को 72 घंटों के भीतर रिहा करना
* इजराइल द्वारा गाजा के 250 कैदियों और 1700 अन्य कैदियों को रिहा करना
* गाजा के विकास और सुधार की योजना बनाना
* गाजा में सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा बल तैनात करना
* इजराइल और मिस्र की सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत करना
* अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा गाजा में सहायता और सुरक्षा की निगरानी करना
* इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता शुरू करना