रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में विनाश का खतरा बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खतरा सिर्फ पारंपरिक युद्ध तक सीमित नहीं है, बल्कि परमाणु तबाही का भी है। यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जेपोरिजिया, इस खतरे का केंद्र बनता जा रहा है।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में शामिल देश व्यापक युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। नाटो, अमेरिका और यूरोप एक तरफ मोर्चा खोलने को तैयार हैं, तो दूसरी तरफ रूस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर पश्चिम को नुकसान पहुंचाने की रणनीति बना रहा है। इस स्थिति में यूक्रेन पर दोहरे खतरे मंडरा रहे हैं। एक तरफ, दोनों देशों के बीच संघर्ष तेज हो गया है, दूसरी तरफ, रूस विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल करने से बच रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस भविष्य के युद्ध के लिए अपने घातक हथियारों को बचा रहा है। जेपोरिजिया परमाणु संयंत्र की स्थिति चिंताजनक है। बिजली कटौती के कारण रिएक्टरों को ठंडा रखने वाली प्रणाली इमरजेंसी जनरेटर पर निर्भर है, जो कभी भी फेल हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसी तबाही हो सकती है।
जेपोरिजिया परमाणु संयंत्र में विस्फोट होने से विकिरण फैल सकता है, जिससे कीव और क्रीमिया में जीवन खतरे में पड़ सकता है। विकिरण पूर्वी हवाओं के जरिए यूरोपीय देशों तक भी फैल सकता है।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि जेपोरिजिया परमाणु संयंत्र में धमाका कौन चाहता है। रूस का कहना है कि यूक्रेन, संयंत्र पर हमला करके खतरा बढ़ा रहा है, जबकि यूक्रेन का आरोप है कि रूस, संयंत्र को नुकसान पहुंचाना चाहता है। जेलेंस्की ने युद्ध को विस्तार देने का विकल्प तलाशा है। अगर जेपोरिजिया से विकिरण फैलता है, तो रूस फंस जाएगा और यूरोप और अमेरिका को सीधे युद्ध में उतरना होगा।