इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने गाजा में हमास के खिलाफ अभियान जारी रखने की बात कही और फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देने से इनकार किया। यह बयान युद्धविराम की बढ़ती मांगों और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद आया।
इजराइल ने गाजा तक भाषण पहुंचाने के लिए कई तरीके अपनाए। गाजा सीमा पर ट्रकों पर लाउडस्पीकर लगाकर भाषण प्रसारित किया गया। इजराइल सेना ने गाजा के निवासियों और हमास ऑपरेटरों के मोबाइल फोन पर नियंत्रण हासिल कर लिया, ताकि नेतन्याहू का भाषण सीधे सुना जा सके। हालांकि, गाजा से इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं हुई है। इजराइल में भी इस कदम की आलोचना हुई, कुछ सैन्य अधिकारियों ने इसे रणनीतिक रूप से बेकार बताया।
अपने भाषण में नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल पश्चिमी देशों के दबाव में नहीं झुकेगा। उन्होंने हमास से हथियार डालने और बंधकों को रिहा करने की अपील की, साथ ही चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर गंभीर परिणाम होंगे। नेतन्याहू ने एक नक्शा दिखाया, जिसमें ‘द कर्स’ क्षेत्र में ईरान, इराक, सीरिया और यमन जैसे आतंकवादियों का समर्थन करने वाले देशों को दर्शाया गया था। इसके विपरीत, ‘द ब्लेसिंग’ क्षेत्र में भारत, मिस्र और सऊदी अरब जैसे इजराइल के सहयोगी देशों को दिखाया गया।
नेतन्याहू के भाषण के दौरान, 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हॉल से बहिर्गमन किया। उन्होंने इजराइल के गाजा में सैन्य अभियान की आलोचना करते हुए युद्धविराम की मांग की। नेतन्याहू ने इन देशों पर आतंकवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया।