ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर से तनाव बढ़ रहा है। यूरोपीय देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रतिबंधों को दोबारा लागू करने की कोशिश के कारण ईरान भड़क उठा है।
शनिवार को तेहरान ने जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में तैनात अपने राजदूतों को परामर्श के लिए वापस बुला लिया। ईरान का कहना है कि यूरोपीय देशों ने गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी।
पिछले महीने, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक पत्र लिखकर ईरान पर परमाणु समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया। इसके बाद, ईरान को 30 दिनों का समय दिया गया कि वह बातचीत से समाधान निकाले, अन्यथा पुराने प्रतिबंध फिर से लागू हो जाएंगे। राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने इस कदम को गलत, अन्यायपूर्ण और अवैध बताया।
चीन और रूस ने प्रतिबंधों को छह महीने तक टालने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा परिषद में उनका प्रस्ताव गिर गया। इससे ईरान और पश्चिमी देशों के बीच टकराव और बढ़ गया। अगर समझौता नहीं हुआ तो संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के प्रतिबंध लागू होंगे, जिनमें हथियार प्रतिबंध, यूरेनियम संवर्धन पर रोक, परमाणु मिसाइलों पर रोक, संपत्ति फ्रीज और यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं। इसके अलावा, ईरान एयर और ईरान शिपिंग लाइन्स की तलाशी का अधिकार भी दिया जाएगा।