संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक महत्वपूर्ण बैठक 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाली है, जिसका मुख्य एजेंडा इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान पर केंद्रित होगा। इस बैठक से पहले, पुर्तगाल ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक बड़ा झटका देते हुए फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है।
इस बैठक में कई पश्चिमी और यूरोपीय देशों से भी फिलिस्तीन को समर्थन मिलने की उम्मीद है। इज़राइल ने इन कदमों का विरोध करते हुए कहा है कि यह हमास को प्रोत्साहित करने जैसा होगा, जिसने 7 अक्टूबर 2023 को गाजा युद्ध की शुरुआत की थी। इज़राइल का मानना है कि फिलिस्तीन को मान्यता देने से आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा और शांति प्रयासों को नुकसान होगा।
पुर्तगाल ने 21 सितंबर को फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की आधिकारिक घोषणा की। पुर्तगाल के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले की जानकारी दी है। पुर्तगाल ने जुलाई में ही बिगड़ते हालात, मानवीय संकट और इज़राइल की धमकियों के कारण इस कदम को ज़रूरी बताया था।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सलाहकार के अनुसार, एंडोरा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, लक्समबर्ग, माल्टा और सैन मैरिनो जैसे देश भी फिलिस्तीन को मान्यता देने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस जैसे प्रमुख पश्चिमी देश भी महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता दे सकते हैं। वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से लगभग तीन-चौथाई फिलिस्तीन को पहले ही मान्यता दे चुके हैं।
22 सितंबर को न्यूयॉर्क में शुरू होने वाली महासभा में ‘दो-राष्ट्र समाधान’ पर व्यापक चर्चा होगी। फ्रांस और सऊदी अरब एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेंगे, जिसमें नॉर्वे और स्पेन भी शामिल होंगे। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) को आर्थिक संकट से उबारना है। इज़राइल ने पिछले चार महीनों से PA के लिए एकत्रित धन को रोक रखा है, जिससे PA की वित्तीय स्थिति गंभीर हो गई है।