फ्रांस में मुसलमानों के साथ भेदभाव एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसे हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में उजागर किया गया है। सर्वेक्षण के अनुसार, 82% मुसलमान मानते हैं कि उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है, और 81% का कहना है कि यह भेदभाव पिछले एक दशक में बढ़ा है।
फ्रांस में 50 से 60 लाख मुसलमान रहते हैं, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। हालांकि, 2025 के शुरुआती महीनों में एंटी-मुस्लिम घटनाओं में 75% की वृद्धि हुई है। इस सर्वेक्षण में 1,000 फ्रांसीसी मुसलमानों को शामिल किया गया था।
सर्वेक्षण से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में, लगभग 66% मुसलमानों ने नस्लवादी व्यवहार का अनुभव किया है। यह दर फ्रांस की आम आबादी और अन्य धार्मिक समूहों की तुलना में काफी अधिक है। हिजाब पहनने वाली महिलाओं में यह आंकड़ा 75% तक पहुंच जाता है। युवाओं और अफ्रीकी मूल के मुसलमानों में भी भेदभाव की दर अधिक है।
मुसलमानों ने नौकरी की तलाश, पुलिस जांच और मकान ढूंढने में भेदभाव की शिकायत की है। स्वास्थ्य सेवा, स्कूलों और सरकारी विभागों में भी भेदभाव आम है। कई लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों और शिक्षकों से भेदभाव की शिकायत की है।
सर्वेक्षण से पता चला है कि आधे से अधिक मुसलमान अपनी धार्मिक पहचान के कारण हमले के डर में जीते हैं। हिजाब पहनने वाली महिलाओं में यह डर और भी अधिक है। भविष्य को लेकर भी चिंता है, क्योंकि अधिकांश मुसलमानों को डर है कि भेदभाव बढ़ेगा और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक लगाई जाएगी। हिजाब पहनने वाली महिलाओं को विशेष रूप से और अधिक प्रतिबंधों का डर है।