ब्रिटेन में भी, जहां इस्लामिक आर्मी जैसी अवधारणाएं चर्चा में हैं, चिंताएं बढ़ रही हैं। सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और ‘आजादी’ के नारे लग रहे हैं। ब्रिटेन, जिसने कभी दुनिया पर राज किया, आज एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है। देश के मूल निवासियों को अपनी पहचान खोने और ‘गुलाम’ बनने का डर सता रहा है।
ब्रिटिश नागरिकों का मानना है कि अप्रवासियों की बढ़ती संख्या उनकी स्वतंत्रता को छीन रही है। इसी के खिलाफ, ‘यूनाइट द किंगडम’ नाम से एक रैली निकाली गई, जिसमें लाखों लोगों ने लंदन की सड़कों पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर मार्च किया और ब्रिटिश झंडे लहराए। आयोजकों के अनुसार, दस लाख से अधिक लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। यह प्रदर्शन उन होटलों के बाहर शुरू हुआ जहां शरणार्थियों को आश्रय दिया जाता है।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और ‘हमें अपना देश वापस चाहिए’ और ‘अप्रवासियों को वापस भेजो’ जैसे नारे लगाए। उन्होंने अवैध प्रवासियों को रोकने की मांग की और कहा कि ब्रिटिश नागरिक अब आप्रवासियों का बोझ नहीं सहेंगे और अपनी पहचान की रक्षा करेंगे।
इस चिंता का एक कारण ब्रिटेन में मूल ब्रिटिश नागरिकों की घटती संख्या है। रिपोर्टों के अनुसार, 2050 तक, मूल ब्रिटिश नागरिकों की आबादी 57% तक कम हो जाएगी, और 2063 तक, वे अल्पसंख्यक हो जाएंगे। 2075 तक, वे कुल आबादी का केवल 44% होंगे, और सदी के अंत तक, मूल ब्रिटिश नागरिक केवल 33% होंगे।
ब्रिटेन में आप्रवासियों की संख्या में वृद्धि हुई है। 2022 में 7 लाख 64 हजार, 2023 में 6 लाख 85 हजार आप्रवासी आए। पिछले साल 4 लाख 30 हजार आप्रवासी आए, और इस साल जून तक एक लाख से अधिक लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया है। लोगों को लगता है कि आप्रवासी उनके आर्थिक अवसरों और सांस्कृतिक पहचान को छीन रहे हैं। ब्रिटेन में 40 लाख मुस्लिम आप्रवासी हैं, जो कुल आबादी का 6.5% हैं, जबकि 12 लाख हिंदू आप्रवासी हैं।
मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है। 2001 में 16 लाख मुस्लिम थे, जो कुल आबादी का 3% था, अब 40 लाख मुस्लिम हैं, जो 6.5% हैं। 2050 तक 1 करोड़ 40 लाख मुस्लिम होने की उम्मीद है, जो कुल आबादी का 17.2% होगा। 2021 की जनगणना में, मुस्लिमों की संख्या 39 लाख से अधिक हो गई, जो 10 वर्षों में 12 लाख से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। ब्रिटेन में 85 शरिया अदालतें हैं।
2024 में मुस्लिम विरोधी नफरत के 6,300 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो 2023 की तुलना में 43% अधिक हैं। लंदन और बर्मिंघम जैसे शहरों में मुस्लिम आबादी 15% से 20% के बीच पहुंच गई है। दक्षिणपंथी कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन ने लंदन में इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।
लेबर पार्टी, जो आप्रवासियों का समर्थन करती है, सत्ता में है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने सोशल मीडिया पर कहा कि वे हिंसा, डर और विभाजन का उपयोग करने वालों के आगे समर्पण नहीं करेंगे। अमेरिकी व्यवसायी एलन मस्क ने भी इस प्रदर्शन का समर्थन किया और कहा कि यूरोप के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है।