फ्रांस में नेपाल के बाद विरोध प्रदर्शनों की आग भड़क उठी है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की नीतियों के खिलाफ ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नामक एक नया आंदोलन शुरू हो गया है, जिसने बुधवार को पूरे देश में राजमार्गों को जाम कर दिया। जगह-जगह आगजनी, नारेबाजी और सड़कों पर अराजकता का माहौल देखा गया, और कई बसों को आग लगा दी गई।
राजधानी पेरिस समेत कई प्रमुख शहरों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद हालात बिगड़ गए। यह विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहा है जब फ्रांस की राजनीति पहले से ही संकट में है। संसद ने हाल ही में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू को विश्वास मत में हराया, और मैक्रों को अपने कार्यकाल का पांचवां प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू नियुक्त करना पड़ा।
‘ब्लॉक एवरीथिंग’ कोई साधारण विरोध नहीं है। यह आंदोलन इस सोच पर आधारित है कि देश की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था अब लोगों के लिए काम नहीं कर रही है। इसकी शुरुआत दक्षिणपंथी समूहों ने की थी, लेकिन अब वामपंथी और अति-वामपंथी इसमें शामिल हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों का मुख्य संदेश है कि अगर सिस्टम काम नहीं करता है, तो देश को रोक दो। इसी वजह से उन्होंने राजमार्गों, शहरों और परिवहन को बाधित करने की योजना बनाई। सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 80,000 सुरक्षा बलों को तैनात किया है, जिनमें से 6,000 केवल पेरिस में तैनात हैं। फ्रांसीसी मीडिया का अनुमान है कि लगभग 1 लाख लोग इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो सकते हैं।
ये विरोध प्रदर्शन 2018 के ‘यलो वेस्ट’ आंदोलन की याद दिलाते हैं, जब ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ लोगों ने विरोध किया था और राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियों के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। गृह मंत्री ब्रूनो रेटायो ने कहा कि बोर्डो में करीब 50 नकाबपोश लोगों ने राजमार्गों को रोकने की कोशिश की। टूलूज़ में एक केबल में आग लगने से यातायात बाधित हुआ। पेरिस पुलिस ने 75 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है, जबकि विंसी कंपनी ने मार्से, मोंपेलिए, नांत और लियोन जैसे बड़े शहरों में यातायात ठप होने की बात कही है।