नेपाल की राजधानी काठमांडू में सरकार के खिलाफ हजारों नागरिकों के सड़कों पर उतरने से एक विशाल विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। यह विरोध सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ है। कुछ प्रदर्शनकारियों के संसद भवन में प्रवेश करने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध तक ही सीमित नहीं है। यह मुख्य रूप से नेपाल के युवा वर्ग द्वारा संचालित है, जो लंबे समय से भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और नागरिक अधिकारों पर सरकारी नियंत्रण से नाखुश हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के कारण लोगों में भारी असंतोष है। यह विरोध अब एक बड़े पैमाने पर आंदोलन का रूप ले चुका है। प्रदर्शनकारियों के संसद भवन तक पहुंचने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
विरोध प्रदर्शन अब काठमांडू के कई इलाकों में फैल चुका है। लोग प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगा रहे हैं। शहर “हमें पारदर्शिता चाहिए”, “हमारे अधिकार वापस दो”, और “भ्रष्टाचार बंद करो” जैसे नारों से गूंज रहा है। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई हैं।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, सरकार ने शहर के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही, सरकारी इमारतों और महत्वपूर्ण जगहों पर सुरक्षा बलों की तैनाती भी बढ़ा दी गई है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है।
यह आंदोलन अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकी तैयारी कई दिनों से चल रही थी। 8 सितंबर को सोशल मीडिया पर एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान पहले ही किया जा रहा था, जिसमें विशेष रूप से युवा और डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रतिबंधों के बावजूद, लोगों ने संचार के वैकल्पिक साधनों के माध्यम से इस विरोध को सफल बनाया।