कनाडा सरकार ने भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में अपनी ज़मीन के इस्तेमाल की बात स्वीकार की है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में मौजूद खालिस्तानी चरमपंथी समूहों को वित्तीय सहायता मिल रही है। रिपोर्ट में बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन जैसे समूहों की पहचान की गई है, जिन्हें कनाडा के अंदर से ही फंडिंग मिल रही है।
ओटावा की खुफिया एजेंसी ने 1980 के दशक के मध्य से खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा भारत में ‘खालिस्तान’ बनाने के लिए हिंसा का प्रयोग करने की कोशिशों पर चिंता जताई थी।
कनाडा सरकार की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राजनीति से प्रेरित हिंसक चरमपंथ हिंसा के इस्तेमाल को बढ़ावा देता है, जिसका उद्देश्य नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करना होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के चरमपंथ में धार्मिक तत्व भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन इसका मुख्य ध्यान नस्लीय या जातीय वर्चस्व के बजाय राजनीतिक आत्मनिर्णय या प्रतिनिधित्व पर होता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई आतंकवादी संगठन, जिनमें हमास, हिजबुल्ला और खालिस्तानी चरमपंथी समूह शामिल हैं, कनाडा के अंदर से ही वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं।
2022 में, कनाडा के वित्तीय लेनदेन और रिपोर्ट विश्लेषण केंद्र ने हिजबुल्ला को कनाडा से धन प्राप्त करने वाला दूसरा सबसे अधिक चिह्नित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन बताया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन समूहों द्वारा बैंकिंग, क्रिप्टोकरेंसी, सरकारी वित्तपोषण, धर्मार्थ और गैर-लाभकारी संगठनों के दुरुपयोग और आपराधिक गतिविधियों सहित विभिन्न तरीकों से धन जुटाया जाता है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि खालिस्तानी चरमपंथी समूहों पर कनाडा सहित कई देशों में धन जुटाने का संदेह है, जो भारत में एक स्वतंत्र क्षेत्र स्थापित करने के लिए हिंसा का समर्थन करते हैं। पहले, इन समूहों का कनाडा में बड़ा नेटवर्क था, लेकिन अब इसमें ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो इस मुद्दे के प्रति निष्ठा रखते हैं।