हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आपस में बातचीत कर रहे थे। दोनों इस बारे में चर्चा कर रहे थे कि इंसान कैसे 150 साल तक जिंदा रह सकता है। उनका मानना था कि शरीर के अंगों का ट्रांसप्लांट होने से इंसान लंबे समय तक जी सकता है। वीडियो में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन भी मौजूद थे।
दरअसल, लंबे समय तक जीने और अमर होने की इच्छा कोई नई बात नहीं है। दुनिया के कई तानाशाहों ने भी ऐसी चाहत रखी थी। लेकिन सच यही है कि मौत से कोई नहीं बच पाया। आइए कुछ ऐसे तानाशाहों के बारे में जानते हैं जिन्होंने अमर होने की कोशिश की।
1. किन शी हुआंग: अमरता की खोज में पारे का सेवन
चीन के पहले सम्राट किन शी हुआंग को अमर होने का जुनून था। उन्होंने पूरी जिंदगी अमरता का अमृत खोजने में बिता दी। उन्होंने अपने सैनिकों और विद्वानों को समुद्र पार काल्पनिक द्वीपों पर भेजा ताकि वहां से कोई जादुई औषधि मिल सके। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने लिए एक शानदार मकबरा और प्रसिद्ध टेराकोटा आर्मी भी बनवाई ताकि मरने के बाद भी उन्हें सुरक्षा मिल सके। लेकिन विडंबना यह रही कि जिन गोलियों को वे अमरता का अमृत समझकर खाते थे, उनमें पारा (मरकरी) मिला होता था। यही उनकी मृत्यु का कारण बना और वे केवल 49 वर्ष की आयु तक ही जीवित रह सके।
2. किम इल सुंग: जीवित रहने के लिए अजीबोगरीब इलाज
उत्तर कोरिया के संस्थापक नेता किम इल सुंग को भी लंबे जीवन का शौक था। उन्होंने अपने डॉक्टरों को हुक्म दिया था कि उन्हें सौ साल तक जिंदा रखा जाए। इसके लिए उन्होंने कई तरह के अजीबोगरीब और डरावने इलाज करवाए। उनकी निजी डॉक्टर किम सो-योन, जो 1992 में दक्षिण कोरिया भाग गईं, बताती हैं कि उनके लिए एक लंबी उम्र वाला रिसर्च सेंटर भी बनाया गया था।
लेकिन उनकी सारी कोशिशें बेकार गईं और किम इल-सुंग 82 साल की उम्र में ही चल बसे। उनका सबसे अजीब शौक क्या था, पता है? बीस से बाईस साल के नौजवानों से खून चढ़वाना, जिसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन कहते हैं। जिन लोगों से खून लिया जाता था, उन्हें पहले अच्छा और पौष्टिक भोजन कराया जाता था। किम इल-सुंग को बच्चों को खेलते और शरारतें करते देखना भी बहुत पसंद था। डॉक्टरों का मानना था कि हंसी से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शायद यही कारण है कि उनकी ज्यादातर तस्वीरों में वे मुस्कुराते हुए दिखाई देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि उत्तर कोरिया में आज भी उन्हें हमेशा जीवित घोषित किया गया है।