जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल की भारत यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर से हुई मुलाकात में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठा: अरीहा शाह नामक एक भारतीय बच्ची का मामला। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर भी केंद्रित थी।
अरीहा शाह कौन है?
अरीहा शाह लगभग चार साल की बच्ची है, जिसे उसके माता-पिता, धारा और भावेश शाह से अलग करके जर्मनी में पालक देखभाल में रखा गया है। यह अलगाव तब हुआ जब अरीहा को उसकी दादी द्वारा चोट लगी, जिसके बाद जर्मन अधिकारियों ने उसे संरक्षण में लिया और इसे दुर्व्यवहार का मामला माना। पिछले 46 महीनों से अरीहा पालक देखभाल में है और जर्मनी में जटिल कानूनी प्रक्रिया से गुजर रही है। माता-पिता का कहना है कि चोट अनजाने में लगी थी, लेकिन जर्मन न्याय व्यवस्था के कारण वह अभी भी पालक देखभाल में है।
विदेश मंत्री ने तत्काल रिहाई की मांग की
जयशंकर ने जर्मन विदेश मंत्री के साथ बातचीत में अरीहा शाह का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत सरकार बच्ची की सांस्कृतिक सुरक्षा और भारतीय वातावरण में परवरिश चाहती है। उन्होंने इस मामले को तुरंत हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत सरकार और बर्लिन में भारतीय दूतावास लगातार बच्ची को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। अरीहा को 23 सितंबर 2021 को, जब वह सिर्फ सात महीने की थी, जर्मनी के यूथ वेलफेयर ऑफिस (जुगेंडम्ट) की सुरक्षा में रखा गया था।
भारत सरकार की पहल
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा विदेश मंत्रालय को पत्र लिखे जाने के बाद भारत सरकार ने इस मामले में सक्रियता दिखाई। पत्र में अरीहा को भारत वापस लाने के लिए समर्थन मांगा गया था।
विदेश मंत्रालय का मानना है कि बच्चे के हितों की पूरी सुरक्षा उसके गृह देश में ही संभव है, जहाँ उसकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित किया जा सकता है। भारत ने जर्मन अधिकारियों से अरीहा को वापस करने और उसके सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया है। भारतीय दूतावास ने बर्लिन में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र तक पहुंच की भी मांग की है।
हालांकि, इन मांगों को अब तक पूरा नहीं किया गया है। विदेश मंत्रालय ने जर्मनी में अरीहा को विशेष पालक व्यवस्था में स्थानांतरित करने पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि यह उसके भावनात्मक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि भारत में एक मजबूत बाल कल्याण प्रणाली है और संभावित पालक माता-पिता उसकी सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकारों का सम्मान करते हुए उसे घर देने के लिए तैयार हैं।